Iran-Israel War Impact: ईरान और इज़राइल के बीच जारी संघर्ष हाल के दिनों में चरम पर पहुंच गया है। हाल ही में ईरान द्वारा इज़राइल पर हमले ने मध्य पूर्व में स्थिति को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है। भारत, जो दोनों देशों के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध बनाए रखता है, इस बढ़ते तनाव को लेकर चिंतित है। यदि यह टकराव युद्ध में बदल जाता है, तो इसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ सकता है, जिससे महंगाई और आर्थिक अस्थिरता का खतरा बढ़ेगा।
भारत और इज़राइल के रिश्ते
भारत और इज़राइल के बीच राजनयिक संबंध 1992 में स्थापित हुए थे, और तब से दोनों देशों के बीच व्यापार में लगातार वृद्धि हो रही है। 1992 में व्यापार केवल 20 करोड़ डॉलर था, जो 2022-23 में 10.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। पिछले चार वर्षों में, व्यापार दोगुना हो गया है। 2018-19 में यह 5.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 10.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। 2021-22 से 2022-23 के बीच, व्यापार में 36.90 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो भारत और इज़राइल के बीच मजबूत आर्थिक सहयोग को दर्शाता है।
निर्यात का विवरण
भारत से इज़राइल को निर्यात में डीजल, हीरे, विमान टरबाइन ईंधन, रडार उपकरण, बासमती चावल, टी-शर्ट और गेहूं जैसी वस्तुएं शामिल हैं। 2022-23 में, डीजल और हीरे ने कुल निर्यात का 78 प्रतिशत योगदान दिया। भारत इज़राइल से पोटेशियम क्लोराइड, यांत्रिक उपकरण और थ्रस्ट के टर्बो जेट जैसी वस्तुएं आयात करता है।
भारत और ईरान के बीच व्यापार
इसके विपरीत, भारत और ईरान के बीच व्यापार पिछले पांच वर्षों में कम हुआ है। वित्त वर्ष 2022-23 में, ईरान भारत का 59वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बना, जहां द्विपक्षीय व्यापार 2.33 अरब डॉलर तक पहुंचा। अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण पिछले तीन वर्षों में ईरान के साथ व्यापार में कमी आई है। 2018-19 में व्यापार 17 बिलियन डॉलर था, लेकिन 2019-20 में यह घटकर 4.77 बिलियन डॉलर और 2020-21 में 2.11 बिलियन डॉलर रह गया।
निर्यात और आयात
भारत ने 2022-23 में ईरान को 1.66 अरब डॉलर का माल निर्यात किया, जिसमें मुख्य रूप से कृषि और पशुधन उत्पाद शामिल हैं, जैसे मांस, स्किम्ड दूध, घी, प्याज और लहसुन। वहीं, भारत ईरान से मिथाइल अल्कोहल, पेट्रोलियम बिटुमेन और खजूर का आयात करता है।
भारत पर संभावित प्रभाव
ईरान द्वारा इज़राइल पर मिसाइल हमले के बाद, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है। ब्रेंट कच्चे तेल की कीमत 74 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई है, जिससे भारत में महंगाई बढ़ने का खतरा है। इस स्थिति में, ओएनजीसी और इंडियन ऑयल जैसी तेल उत्खनन कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है, जबकि पेंट और टायर उद्योगों के शेयरों में गिरावट संभव है।
भारत की स्थिति इस संघर्ष के दौरान बेहद नाजुक है। यदि यह टकराव युद्ध में तब्दील होता है, तो न केवल भारत की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी, बल्कि इसकी विदेश नीति और क्षेत्रीय स्थिरता भी संकट में पड़ सकती है।