नगर निगम से जुड़े घोटाले आए दिन सामने आ रहे हैं। नगर निगम के अधिकारियों, नेताओं और ठेकेदारों की मिलीभगत से फर्जी बिल बनाने और बिना कोई काम किए भुगतान करने के मामले की जांच में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। ऐसे में हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा है कि जिस काम के लिए पांच कंपनियों के अधिकारियों ने बिना कोई काम किए 28 करोड़ रुपये का बिल जारी कर दिया, वह काम कब और किसने किया।
‘अधिकारियों की फर्जी बिल कंपनियों से मिलीभगत’
जांच में पता चला है कि जिस काम के लिए वर्क ऑर्डर जारी किया गया है, उसका नाम और ठेकेदार बदलकर फर्जी फाइल बनाकर पांच फर्जी फर्मों ने निगम से 21 करोड़ रुपये का भुगतान ले लिया है। फर्जी कंपनियों के कर्ताधर्ताओं द्वारा भुगतान की पूरी फाइल उपलब्ध है। माना जा रहा है कि निगम अधिकारियों की फर्जी बिल कंपनियों से मिलीभगत है।
‘अधिकारी ऐसे मामलों को छुपाने में लगे’
इसके चलते पूरी फाइल में पुराने दस्तावेजों का इस्तेमाल कर अधिकारियों को गुमराह करने की कोशिश की गई। नगर निगम में ड्रेनेज विभाग, लोक निर्माण विभाग और उद्यान विभाग के साथ ही कई अन्य विभागों में भी बिना कोई काम किए फर्जी बिलों का भुगतान किया गया है, जिसके चलते अधिकारी ऐसे मामलों को छुपाने में लग गए हैं।
इन अधिकारियों ने किए हस्ताक्षर:
16 फाइलों पर हस्ताक्षर में तत्कालीन अपर आयुक्त सदीप सोनी, तत्कालीन सिटी इंजीनियर कमल सिंह, प्रभारी कार्यपालन यंत्री अभय राठौड़, सुनील गुप्ता, विभागाध्यक्ष प्रसाद रेगे, लिपिक सतीश बड़के, निगम से सेवानिवृत्त बाबू धमरामचंद पालीवाल शामिल हैं। सहायक अभियंता सेवकराम पाटीदार, उपयंत्री राकेश शर्मा, वरुणेश सेन एवं अविनाश कस्बे शामिल है।