नीरज राठौर की कलम से
जब INDIA गठबंधन बना था तब विपक्ष ने बड़े-बड़े फोटो खिंचवाए थे। लेकिन फिर कांग्रेस ने तीन महीने खराब किए क्योंकि कांग्रेस पांच स्टेटों के इलेक्शन में लग गई, गठबंधन पर कोई ध्यान नहीं दिया। नवंबर में विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव की पार्टी मध्यप्रदेश में गठबंधन में दो चार सीटें मांग रही थी लेकिन कांग्रेस ने नहीं दीं। खुंदक में अब अखिलेश यादव कांग्रेस को यूपी में लोकसभा चुनावों में पांच सीटों से ज्यादा नहीं देना चाहते। उधर अन्य राज्यों से भी INDIA अलायंस के लिए अच्छी खबरें नहीं हैं। पिछले दो दिनों से केजरीवाल, ममता बैनर्जी, नितीश कुमार जैसे नेता कांग्रेस से गठबंधन पर ना-नुकर कर रहे हैं। नितीश खुद को तेजस्वी से भी दूर करते दिखाई दे रहे हैं।
बिना विपक्षी एकता के भाजपा को हराना असंभव है। ऐसा लगता है कि विपक्षी पार्टियां भाजपा को ही जिताना चाहती हैं। विपक्षी नेता मोदी की आलोचना तो करते हैं लेकिन ऐसा लगता नहीं कि वे मोदी को हराना चाहते हों। देश की जनता को जब यह विश्वास होगा कि विपक्ष मोदी को हरा देगा, तभी जनता विपक्ष को वोट देगी। दरअसल जनता को अब तक तो यह विश्वास ही नहीं हुआ है कि विपक्ष केंद्र में सरकार चला पाएगा। जनता को लगता है कि जो अब ही आपस में लड़ाई कर रहे हैं, वे सत्ता में आ भी गए तो सरकार नहीं चला पाएंगे, आपस में ही लड़-भिड़कर कुछ गुट भाजपा की तरफ जाकर भाजपा की ही सरकार बनवा देंगे। इसलिए लोग सोचते हैं कि भाजपा की ही सरकार बनवा दो।
अविश्वसनीय विपक्ष खुद ही मोदी की राह आसान बना रहा है। देश में विपक्ष के नेता अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं। खुद को नाकाबिल और नकारा साबित कर रहे हैं। लगा था कि तीन राज्य में चुनाव हारने के बाद INDIA गठबंधन रेवाइव हो रहा है लेकिन अब गठबंधन के लिए ना तो कांग्रेस सीरियस दिखाई देती है, न ही अन्य विपक्षी नेता। अब तक एक कनविनर तक नहीं बना सके, कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तो दूर की बात है। उपर से इनके चिरकुट लीडर रोज आपस में एलायंस पार्टनर को ही भला बुरा बोलते हैं ।
इतना निकम्मापन जहां रहेगा उनको कोई क्यों वोट देगा ?