इंदौर। संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर ने बताया कि प्रदेश में 100 वर्ष पुरानी संगीत धरोहर मैहर बैंड को पुनर्जीवित किया जाएगा। गुरु शिष्य परंपरा पर आधारित मैहर बैंड को “मैहर बैंड गुरुकुल” के रूप में संचालित किया जाएगा। गुरुकुल में बाबा उस्ताद अलाउद्दीन खान सब की 150 दुर्लभ बंदिशों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। मैहर संगीत महाविद्यालय भवन मैहर में ही संचालित गुरुकुल में प्रशिक्षणार्थी मैहर वाद्य वृंद में प्रयुक्त होने वाले सभी वाद्यों का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। संगीत कला क्षेत्र का अनूठा और अद्वितीय वाद्य वृंद मैहर बैंड संगीत परंपरा का अनुपम उदाहरण है। जिसे पुनर्जीवित कर संगीत की प्राचीन परंपरा को सहेज कर आगे बढ़ने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है।
प्रशिक्षणार्थियों को 10 हजार रूपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति
मंत्री उषा ठाकुर ने बताया कि गुरुकुल में प्रशिक्षण का सत्र अधिकतम 2 वर्ष का होगा। प्रशिक्षण अवधि में प्रशिक्षणार्थियों को 10 हजार रूपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जाएगी। मैहर बैंड के सेवानिवृत्त 5 संगीतकारों को प्रशिक्षण के लिए 37 हजार 500 रूपये की सम्मान निधि दी जाएगी। प्रारंभिक सत्र में 20 प्रशिक्षणार्थियों को चयन कर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मंत्री उषा ठाकुर ने बताया कि गुरुकुल के द्वारा न केवल मैहर बैंड को पुनर्जीवित किया जाएगा बल्कि मैहर वाद्य वृंद में प्रस्तुत होने वाले वाद्यों का प्रशिक्षण देकर अनेक श्रेणी के मैहर बैंड भी स्थापित किया जा सकेंगे। मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य है जहां संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन सतत किया जा रहा है। संगीत क्षेत्र में जानी-मानी संगीत धरोहर को आने वाली भावी पीढ़ी के लिए उपलब्ध कराना उन्हें एक सांगीतिक सौगात है। देश दुनिया के संगीत प्रेमियों द्वारा इस धरोहर का सतत लाभार्जन किया जा सकेगा।