कोर्ट में प्रॉस्टिट्यूट और मिस्ट्रेस जैसे शब्दों पर प्रतिबंद, सुप्रीम कोर्ट ने जारी की नई शब्दावली, CJI बोले जजों और वकीलों को होगी आसानी

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Supreme Court, Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में निर्धारित किया है कि, अदालत के फैसलों और दलीलों में अब जेंडर स्टीरियोटाइप शब्द जैसे कि प्रॉस्टिट्यूट और मिस्ट्रेस का इस्तेमाल नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए एक हैंडबुक भी लॉन्च की है। कोर्ट के इस फैसले में यह उल्लेख किया गया है कि, अदालत में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करके व्यक्तियों को आपत्तिजनक और अवमानना महसूस हो सकता है। जो कि उनके अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है।

आपको बता दे कि, हैंडबुक जारी करते हुए CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि इससे जजों और वकीलों को ये समझने में आसानी होगी कि कौन से शब्द रूढ़िवादी हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस हैंडबुक में वे शब्द रखे हैं, जिन्हें पहले की अदालतों ने यूज किया है। शब्द गलत क्यों हैं और वे कानून को और कैसे बिगाड़ सकते हैं, इसके बारे में भी बताया गया है। जल्द ही इससे जुड़ी डिक्शनरी भी आ जाएगी, जिससे शब्दो को समझने में आसानी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस हैंडबुक में प्रॉस्टिट्यूट की जगह ‘सेक्स वर्कर’, चाइल्ड प्रॉस्टिट्यूट की जगह ‘तस्करी करके लाया गया बच्चा’, अफेयर की जगह ‘शादी के इतर रिश्ता’ इस्तेमाल किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने यह तय किया कि, कोर्ट को न्यायिक भाषा का पालन करना चाहिए और व्यक्तियों के अधिकारों को सम्मान करने के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया में सुधार करने और न्यायिक प्रणाली को मजबूती प्रदान करने का प्रयास है ताकि लोगों को न्याय मिल सके और उनके अधिकारों का पालन किया जा सके।