इंदौर राइटर्स क्लब की बैठक में आज कवि पत्रकार तथा साहित्य गुंजन पत्रिका के संपादक जितेंद्र चौहान को याद करके उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। बैठक में जावेद खान ने उनकी एक रचना का पाठ किया जिसमें जितेंद्र चौहान ने अपनी मृत्यु को लेकर बहुत ही संवेदनशील बात कही थी।
अभय नीमा ने चौहान से जुड़े हुए कई प्रसंग सुनाए। अर्जुन राठौर ने बताया कि जितेंद्र चौहान अपने किस्म का बिरला इंसान था उसने जिंदगी में कभी कोई समझौता नहीं किया अपनी शर्तों पर साहित्य गुंजन पत्रिका कई वर्षों तक प्रकाशित की। इसके अलावा पार्वती प्रकाशन के माध्यम से लगभग डेढ़ सौ से अधिक किताबें प्रकाशित की निजी स्तर पर इतनी अधिक पुस्तकों का प्रकाशन करना जितेंद्र चौहान के लिए ही संभव था राठौर ने बताया कि साहित्य गुंजन पत्रिका के लिए उन्होंने जीवन भर कोई सरकारी मदद नहीं ली उन्हें कई बार आग्रह भी किया गया कि वे पत्रिका का बैंक खाता खुलवालें तथा अन्य औपचारिकताएं पूरी कर ले ताकि सरकार की तरफ से भी मदद मिल सके लेकिन चौहान ने हमेशा इनकार ही किया।
पार्वती प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तकों की पुस्तक प्रदर्शनी वे हमेशा प्रीतमलाल दुआ सभागृह में लगाया करते थे और इसी से उनका जीवन यापन भी चलता था। जितेंद्र चौहान की मौत ने सभी को स्तब्ध कर दिया वे मात्र 63 वर्ष के थे। शैलेश वाणी ने भी जितेंद्र चौहान से जुड़ी हुई बातों का जिक्र किया।