इंदौर : अस्थमा रेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। वैसे तो ये रोग जीन के द्वारा बच्चों में आता है, लेकिन लाइफस्टाइल के कारण भी व्यक्ति अस्थमा का शिकार हो जाता है। आज के दौर में बढ़ता प्रदुषण भी इस बीमारी का कारक है। इस बीमारी से फेफड़ों तक जाने वाले सांस की नली इतनी पतली हो जाती है कि सांस लेने में काफी दिक्कत होने लगती है। अस्थमा के सामान्य लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, खांसी होना, बलगम आना और सांस लेते वक्त घर घर की आवाज आना शामिल है। अस्थमा ऐसी बीमारी है जिसे अब पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है यह बात
वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक और सदस्य साइन्टिफिक एडवाइजरी बोर्ड, सी सी आर एच, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. एके द्विवेदी ने कही।
डॉक्टर एके द्विवेदी अपने निजी अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि हमारे पास काफी पैशेंट आते हैं जिनको अस्थमा की परेशानी मौसम के अनुरूप होती है। किसी को ठंड में होती है तो किसी को बारिश में होती है और किसी किसी को तो यह समस्या गर्मी में भी होती है। होम्योपैथिक चिकित्सा में यह सुविधा दी गई है कि प्रत्येक मौसम के लिए अलग-अलग दवाईयां है। अस्थमा के टाइप की बात की जाए तो यह बच्चों में एवं ओल्ड एज में ज़्यादा देखने को मिलती है। हमने होम्योपैथिक उपचार से कई मरीजों को ठीक किया है।
अस्थमा की बीमारी के लक्षण की अगर बात की जाए तो साँस फूलना, साँस लेने में तक़लीफ़ होना, साँस का उखड़ जाना , अत्यधिक ख़ासी आना,अत्यधिक थकान महसूस करना, कोहरे या धुएं से एलर्जी होना शामिल है वहीं यह धुएं, कोहरे, तेज चलने, धूल व मिट्टी, मौसम, श्वसन नलिकाओं में इंफेक्शन के कारण होता है। डॉ. द्विवेदी के अनुसार अस्थमा के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली कुछ होम्योपैथिक दवाएं हैं। वैसे तो होम्योपैथिक दवाओं का कोई साइड इफ्केट नहीं होता। लेकिन हर व्यक्ति की बीमारी के हिसाब से उन्हें दवा दी जाती है। ऐसे में मरीज को चाहिए कि वे डॉक्टर से मिले और उन्हें अपनी बीमारी की संपूर्ण जानकारी दें ताकि मरीज को बीमारी की गंभीरता के अनुसार, सही दवा का डोज दिया जा सकें।
वहीं होम्योपैथी में आर्सेनिक एल्बम, एंटीमोनियम टार्टारिकम, स्पंजिया टोस्टा, इपेकैक, नैट्रम सल्फ्यूरिकम शामिल है। होम्योपैथिक चिकित्सक के सलाह से लिया जा सकता है। इसी के साथ आयुष समृद्धि इंटरनेशनल वेबिनार में डॉ द्विवेदी ने ठीक हुए मरीज़ों के बारे में विस्तृत रूप से बताया वहीं अन्य वक्ताओं ने भी अपनी बात रखी आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ बृजेश मिश्रा एवं डॉ श्री राम ने आयुर्वेदिक चिकित्सा के बारे में बताया कार्यक्रम का संचालन डॉ पवन शर्मा और अतिथि स्वागत डॉ विष्णु शर्मा ने किया। समापन एवं आभार डॉ विपिन अग्निहोत्री द्वारा किया गया।