देशभर में बीतें कुछ महीनों से समलैंगिग विवाह को लेकर चर्चा हो रही है। इसके साथ ही देश की सर्वोच्च अदालत में इस मुद्दे पर लगातार सुनवाई की जा रही है। वहीं आज सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में समलैंगिक विवाह पर सुनवाई के बीच LGBTQ समुदाय से आने वाले बच्चों के माता-पिता ने भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को एक चिट्ठी लिखी है।
इन चिट्ठियों में करीब 400 अभिभावकों के समूह ने देश के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर अपने एलजीबीटीक्यूआईए++ बच्चों के लिए ‘विवाह में समानता’ का अधिकार मांगा है। अभिभावकों की मांग है कि उनके बच्चों द्वारा दाखिल की गई याचिकाओं पर विचार किया जाए और समलैंगिक विवाह को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत कानूनी मान्यता दी जाए, ताकि उन्हें समाज में स्वीकार किया जा सके।
पत्र में कहा गया कि हम आपसे समान विवाह की मांग करते है, हमारी इच्छा है कि हमारे बच्चों और उनके जीवनसाथी के संबंधों को हमारे देश के विशेष विवाह अधिनियम के तहत मान्यता मिले। हमें उम्मीद है कि जिस तरह से यह विशाल देश है वह उतनी ही विशालता से अपनी विविधता के स्वीकार करेगा और समावेशी मूल्यों के साथ खड़ा होगा एवं हमारे बच्चों के लिए भी वैवाहिक समानता के कानूनी द्वार को खोलेगा।’’
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इसके साथ ही अभिभावकों का कहना हमारी उम्र बढ़ रही है। हम में से कुछ की उम्र 80 साल के करीब पहुंच रही है, हमें उम्मीद है कि हम अपने जीवनकाल में अपने बच्चों के सतरंगी विवाह को कानूनी मान्यता मिलते देख सकेंगे।’