इंदौर। शहर में पब्लिक ट्रासपोर्ट की संख्या में पिछले साल के मुकाबले 60 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए एआईसीटीएसएल की आई बस, सिटी बस, ऑटो रिक्शा, मैजिक वैन कई सालों से शहर की सड़कों पर दौड़ रहे हैं, लेकिन इन सबसे इतर सबसे ज्यादा इजाफा शहर की सड़कों पर ई रिक्शा का हुआ है। शहर में आधी से ज्यादा जनसंख्या का भर यह ई रिक्शा ढो रहे हैं। शहर में लगभग 1 हजार ई रिक्शा सड़कों पर दौड़ रहे हैं। पीछले 2 सालों में इनमें 60 प्रतिशत की बढ़त हुई है। इसी के साथ कई शहरों में ट्रेफिक व्यवस्था को बिगाड़ने की बात भी ई रिक्शा को लेकर सामने आई है।
2 लाख तक होती है कीमत, रोजाना होती है 1 हजार से ज्यादा कमाई
शहर में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है, इन्हें युवा, बुर्जुग और खासकर महिलाएं चलाकर अपनी जीवनी चला रहे हैं। इनकी कीमत 2 लाख तक होती है। वहीं दिन भर में 1 हजार से ज्यादा की कमाई वाहन चालक करते है।ई रिक्शा का परिवहन विभाग द्वारा कोई रूट तय नही किया गया है. यह शहर के एक कोने से दूसरे कोने में चले जाते हैं। वहीं मैजिक वैन और रिक्शा के मुकाबले इनका किराया कम होता है। मैजिक वैन एक रूट पर चलती है।
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हर लिहाज से यह ई रिक्शा है बेहतर
सामान्य रूप से ऑटो चालक मनचाही जगह छोड़ने के लिए ज्यादा पैसे लेता है। ई रिक्सा कम किराए पर मनचाही जगह छोड़ते हैं। कुछ सालों में एजुकेशन हब बनकर सामने उभरा है, इसी के साथ शहर में अपने कार्य से बाहर से आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है, यह सब शहर के एक कोने से दूसरे कोने में जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं। जिसमें ज्यादातर इस्तेमाल इन ई रिक्शा का किया जा रहा है। इसी के साथ अब यह वाहन शहर में टारंसपोर्ट का कार्य भी कर रहे हैं।
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मैजिक वैन और ऑटो के मुकाबले होता है कम किराया।
मैजिक वैन और ऑटो रिक्शा की तरह इनके पास स्टैंड नहीं है, शहर में आए दिन ऑटो चालक और वैन चालक इनसे झगड़ा करते रहते हैं। इन्हें किसी स्थान पर ज्यादा देर रुकने की अनुमति नही है। इस वजह से लोग ई रिक्शा में बैठना पसंद करते हैं, यह ज्यादा देर कहीं रुकते नही इस वजह से व्यक्ति के समय की बचत होती है। ई रिक्शा बैट्री से चलते हैं, तो डीजल और सीएनजी से चलने वाले वाहन के मुकाबले यह सस्ते होते हैं, जिस वजह से इनका किराया कम होता है।