इंदौर। आज स्वच्छ शहर की सुबह में सकारात्मकता और उत्साह का एक नया रूप देखने को मिला। अध्यात्म और संतों की मधुर प्रवचन का एक संगम दशहरा मैदान में देखने को मिला। आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर के तीन दिवसीय इंदौर प्रवास के तहत आज अंतिम दिन योग सत्र और महारुद्र पूजन का आयोजन किया गया। नगर निगम और योग मित्र के संयुक्त तत्वावधान में दशहरा मैदान में हुए इस आयोजन की शुरुआत सुबह 6.30 बजे से होनी थी, लेकिन रविशंकर के अनुयायी 6 बजे से पहले ही आने लगे। सुबह से भक्तों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया। हजारों की संख्या में लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
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सुबह से ही आयोजन स्थल पर आए लोगों ने योग और अध्यात्म से जीवन के बेहतरीन पलों को महसूसु किया।इस भव्य आयोजन की शुरुआत मंत्रोचार और संकल्प से हुई। इसके बाद योगाभ्यास की शुरुआत की गई। जिसमें अस्मिता वडनेरे और सुनील राजपूत ने योग करवाया।इस दौरान मंच पर इनके साथ महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी योग किया।
बात करने से चित्त शांत होता है, मन को प्रसन्नता मिलती, है कोई निराश हो तो बात करें श्री श्री रविशंकर जी
अध्यात्म गुरु श्री श्री रविशंकर जी ने लोगों को जीवन के महत्व और इसके हर पड़ाव में जीवन जीने की कला के गुण सिखाए, उन्होंने कहा उन्होंने कहा कि जब कोई जीवन के कठिन क्षणों में आपको निराश दिखे तो आप वहां से आने के बजाएं, कुछ पल उनसे बात करें । बात करने से चित्त शांत होता है, मन को प्रसन्नता मिलती है। व्यक्ति तनाव के कारण अपनी शक्ति को नहीं पहचान पाता। इस स्थिति में वह यह नहीं समझ पाता की ईश्वर, समाज, मित्र, परिवार उसके साथ है। इस तनाव के कचरे को ध्यान की झाड़ू से बाहर कर दीजिए, तब ही हमारा मन स्वच्छ और स्वस्थ हो सकेगा। उनके आते ही जय गुरुदेव के नारों से पंडाल गूंज उठा।
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गुरुदेव का मार्गदर्शन भौतिकता की अग्नि में दहकते मानव को शांति प्रदान कर सकता है। शिवराज सिंह चौहान
इस भव्य अध्यात्मिक आयोजन से ऑनलाइन जुड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि गुरुदेव का मार्गदर्शन भौतिकता की अग्नि में दहकते मानव को शांति प्रदान कर सकता है। वे प्रकाश स्तंभ की भांति पूरी दुनिया को दिशा दिखाने का कार्य कर रहे हैं। आप हमारा संबल हो। आपने जो सुदर्शन क्रिया दी, वह शक्ति का भंडार है। इसी के साथ भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शहर के बारे में कहा कि यह शहर संस्कार, स्वाद और संस्कृति का है। अब शहर को संभालने की भी जरूरत है जो कि आपके बिना संभव नहीं। आज का युवा नशे की और जा रहा है, नशा हो लेकिन भगत सिंह की तरह राष्ट्र भक्ति का, मीराबाई की तरह ईश भक्ति का हो। नशा समाजसेवा का हो, इसलिए युवाओं को मार्गदर्शन की आवश्यकता है। विद्यालय में योग का सत्र भी संचालन किया जाना चाहिए। ताकि हमारे बच्चें इस अध्यात्म को अपने जीवन में उतार सके।