नगर निगम की आर्थिक हालत किसी से छुपी नहीं है। नगर निगम के पास ठेकेदारों को भुगतान करने तक की स्थिति नहीं है। ऐसे हालात में अधिकांश ठेकेदारों ने नगर निगम का काम करना ही बंद कर दिया है। ठेकेदारों ने बताया कि उनके करोड़ों रुपए के बिल बकाया होने के बावजूद उन्हें हर बार कभी 10 परसेंट कभी 15 परसेंट पेमेंट ही दिया जाता है। नगर निगम ने भी नए विकास कार्यों पर लगभग रोक लगा रखी है।
शहर में अधिकांश विकास कार्य स्मार्ट सिटी के तहत मिली राशि से कराए जा रहे हैं। ऐसी हालत में नगर निगम के अधिकांश नवनियुक्त एमआईसी सदस्य अपने नए केबिन बनाने में ही 15 से 25 लाख तक की राशि खर्च कर रहे हैं। अधिकांश एमआईसी सदस्य इन दिनों वास्तु के आधार पर अपने केबिन का चयन कर रहे हैं और इनमें बदलाव कर रहे हैं। यह देखकर लगता है कि नए एमआईसी सदस्य उधार लेकर घी पीने का जैसा काम कर रहे हैं। लगभग सभी एमआईसी सदस्यों ने अपने केबिन में बदलाव किया है वॉलपेपर फ्लोरिंग फर्नीचर रूफ़ सीलिंग लाइटिंग एसी आदि बदले जा रहे हैं। सभी की चाहत यह है कि उनके केबिन में सब कुछ नया दिखाई देना चाहिए। लगता है उन्हें शायद नगर निगम की आर्थिक सेहत के बारे में जानकारी नहीं है या फिर उन्हें निगम की आर्थिक हालत से कोई लेना देना नहीं है।
वहीं दूसरी ओर महापौर के केबिन और एमआईसी बैठक हाल में ज्यादा बदलाव नहीं किया गया है और ना ही महापौर ने ऐसी कोई इच्छा जाहिर की है। उन्हें जैसा केबिन तैयार करके दिया गया है उसी में वह संतुष्ट हैं यहां तक कि महापौर की कुर्सी और केबिन में लगे ऐसी तक भी नहीं बदले गए हैं।
कमरा नंबर 12 फिर बना पनौती
नगर निगम के गलियारों में यह चर्चा है कि कमरा नंबर 12 में कोई एमआईसी सदस्य क्यों नहीं बैठना चाहता है। बताया जाता है कि इस कमरे में जो भी बैठा उसकी फाइल लिपट गई। बताते हैं कि इस कमरे में आखरी बार लाल बहादुर वर्मा एमआईसी सदस्य के रूप में बैठे थे और उन्हें बाद में टिकट ही नहीं मिला । नगर निगम कंसल्टेंट गर्ग भी इसी कमरे में बैठते थे जिन्हें बाद में निगम से हटा दिया गया। निगम कर्मी बताते हैं कि इस कमरे को लेकर ऐसे कई उदाहरण है इसमें बैठने वालों को अपने पद से हाथ धोना पड़ा है।