डॉ तुषार खण्डेलवाल
वास्तु में Google का स्थान-
आज हमे कुछ भी जानने की इच्छा हो या किसी को पता बताना हो तो google ही याद या कहे काम आता है . सीधे शब्दो मै कहे तो वहा सब कुछ ज्ञान उपलब्ध है , जो भी जानना चाहो , अलादीन के चिराग के जिन्न सा तुरंत हाज़िर हो सकता है. केवल केवल जो सबसे महत्पूर्ण है वह है आपकी कनेक्टिविटी प्रॉपर होना चाहिए.
शरीर और भवन में गूगल अर्थात गुरु का स्थान
जी हा आइये जानते है गुरु का वह स्थान जो हमे समस्त प्रकार का सही ज्ञान दे सकता है . क्युंकी गुरु तत्व ही हमे समस्त ज्ञान देते है और हमारे जीवन में प्रकाश लाते है . आइये जानते है वास्तु के आतंरिक अर्थात शरीर में एवं बाहरी अर्थात बिल्डिंग में google रुपी गुरु का स्थान और उन्हें कैसे शक्तिशाली बनाये ताकि हमारा गुरु तत्व जागृत रहे .
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शरीर में गुरु का स्थान :
हमारे शरीर में कई चक्र होते है जिनमे 7 प्रमुख चक्र है , जो ब्रह्माण्ड से आवश्यक उर्जा ग्रहण करके शरीर के सम्बंधित अंगो तक उर्जा पहुचाते है .
- जैसे मूलाधार चक्र जिनका स्थान मल द्वार के पास है , वे पृथ्वी तत्व ( हड्डी आदि ) से सम्बंधित है ,
- स्वाधिस्ठान चक्र जिनका स्थान जननेंद्रिय में स्थित है इस चक्र का सम्बन्ध जल तत्व ( किडनी आदि ) से है ,
- मणिपुर चक्र जो नाभि में स्थित है , इस चक्र का सम्बन्ध अग्नि ( पेट, पाचन आदि ) से है ,
- अनाहत चक्र जो ह्रदय में स्थित है , इस चक्र का सम्बन्ध वायु तत्व ( दिल आदि ) से है ,
- विशुद्ध चक्र जो कंठ में स्थित है , इस चक्र का सम्बन्ध आकाश तत्व ( वाणी आदि ) से है .
ये पांचो चक्र जब बैलेंस में रहेंगे तो हमारे शरीर के समस्त अंग सुचारू होकर अपना अपना कार्य करेंगे , तभी हमारा शरीर स्वस्थ रहता है . और स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है .
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- अब हम बात करते है आज के विषय से सम्बंधित जी हा आज्ञा चक्र जो भोहो के मध्य स्थित है , इस चक्र का सम्बन्ध हमारे गुरु तत्व से है , संसार का समस्त ज्ञान यहाँ पर उपलब्ध है , इसे जितना जागृत करेंगे उतना आसानी से सब सामने आता जायेगा .
इस चक्र को जागृत करने के लिए आप ब्रामरी प्राणायाम , खेचरी मुद्रा ,
ओरइस चक्र के बीज मंत्र अर्थात पासवर्ड ॐ को भोहो के बीच धयान करना चाहिए . गुरु तत्व का रंग पीला होता है, तो पीले रंग का सावधानी पूर्वक उपयोग से भी विशेष लाभ लिया जा सकता है . यह आज्ञा चक्र सदियों से हमारे लिए google का कार्य करता आया है .
बिल्डिंग में गुरु स्थान
पूर्व , पश्चिम , उत्तर , दक्षिण , आग्नेय , नेरत्य , वायव्य , ईशान्य , आकाश , पाताल इन 10 दिशाओ का बिल्डिंग वास्तु में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है . हर दिशा का अपना विशेष गुण , महत्व एवं कार्य है .इनमे जो ईशान्य दिशा , कोण या जोन कहे वह गुरु तत्व का स्थान है, यहाँ पूजा स्थान , बच्चो के अध्ययन का कमरा , ड्राइंग रूम ओर क्रीम & पीला रंग होने से इस कोण की उर्जा का भवन में रहने वालो को अत्यंत लाभ मिलता है.
यहाँ कूड़ा कचरा , भारी सामान, सीडिया , टॉयलेट्स , अग्नि या कहे किचन आदि होने से यह तत्व अत्यंत दूषित हो जाता है एवं भवन की वास्तु में स्थित , सोचने समझने की शक्ति बिगाड़ देता है . वैवाहिक जोड़ो को भी इस कोण के कमरे में नहीं सोना चाहिए क्यूंकि उनका वैवाहिक जीवन शुक्र प्रधान होता है और ईशान्य कोण में गुरु तत्व प्रधान होता है , क्यूंकि गुरु देवताओ के गुरु है और शुक्र दैत्यों के . दोनों शुभ तो है , लेकिन विपरीत शक्तिया है , इसलिए सावधानी से ही रूम का सिलेक्शन करे .