दिवाली का त्यौहार आने वाला है ऐसे में एक दूसरे को गिफ्ट लेने देने का सिलसिला जारी होना शुरू हो गया है। कोरोना महामारी को देखते हुए इस साल कई लोग वर्चुअल दीवाल सेलिब्रेट करेंगे और गिफ्ट भी ऑनलाइन ही देंगे। अगर आप भी ऑनलाइन गिफ्ट्स देने का सोच रहे हैं तो ऐसे में आपको कुछ नियमों को पहले से जान लेना चाहिए। क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा 1958 में गिफ्ट टैक्स एक्ट बनाया था।
जिसके तहत कुछ खास मौको पर गिफ्ट्स के लेनदेन पर टैक्स का चलन शुरू किया गया था। लेकिन इसे खत्म भी कर दिया गया था। फिर 2004 में इसे वापस से इनकम टैक्स प्रॉविजंस लिया गया था। जिसके बाद 2017-18 में जारी आईटीआर नोटिफिकेशन में टैक्सपेयर्स को मिले गिफ्ट्स का खुलासा करना अनिवार्य कर दिया गया था। तो चलिए अभी टैक्स की क्या स्थति है इसके बारे में जानते हैं।
आपको बता दे, अगर आपको किसी अनजान व्यक्ति की तरह से गिफ्ट में 50 हजार रुपये की नगदी मिलती है तो इस पर आपको कोई टैक्स नहीं लगेगा। लेकिन अगर 50 हजार की लिमिट क्रॉस होती है तो इसका टैक्स चुकाना पड़ेगा। इसका मतलब ये है कि आपको पूरी राशि पर अन्य स्रोत से हुई आय के रूप में टैक्स चुकाना पड़ेगा।
हालांकि अगर आपको ये किसी परिवार के व्यक्ति या फिर रिश्तेदार से मिलते है तो इसमें कोई टैक्स नहीं लगेगा। वहीं शादी और वसीयत के तौर पर मिलने वाले गिफ्ट पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है। इनके आलावा भी यदि आपको गिफ्ट में प्रॉपर्टी मिलती है तो फिर उसके ऊपर उस पर टैक्स की गणना सर्किल रेट के आधार पर की जाती है। हालांकि इसमें भी रिश्तेदारी और परिवार की ओर से मिलने वाली प्रॉपर्टी पर कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है।