इंदौर(Indore) : 6 बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब जीत चुके इंदौर के कई इलाकों में पेयजल के साथ सीवर लाइन का पानी सप्लाई हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि जिस 311 एप पर तुरंत शिकायत और समाधान का दावा किया जाता है उस पर कई-कई शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। टैंकर से पानी सप्लाई के नाम पर औपचारिकता निभाई जा रही है। कुछ घरों में लंबे इंतजार के बाद भरे पूरे परिवारों में महज एक हजार लीटर पानी की सप्लाय ही हो रही है। इंदौर के पाश इलाकों में गीने जाने वाले अमितेष नगर और महालक्ष्मी नगर में नर्मदा लाइन में सीवर लाइन की सप्लाय मिल रही है।
एक दिन छोड़ कर की जाने वाली सप्लाय किए जाने वाले पानी में काला, गंदा और बदबूदार पानी आ रहा है। महालक्ष्मी नगर के आर सेक्टर में कई लोग दूषित पेयजल को लेकर ऑन लाइन और मेन्यूअल अपनी शिकायतें दर्ज करा चुके हैं। 10 दिनों से सीवर लाइन का बदबूदार गंदा पानी आ रहा है। शुरुआत में कुछ दिनों तक हल्की बदबू आ रही थी। लोग इसी पानी को पीते रहे। एक के बाद एक लगातार शिकायतें मिल रही है लेकिन निगम का अमला बेसूध है।
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कुछ अधिकारियों ने आज सुबह पानी की सप्लाई के वक्त विजिट किया भी लेकिन दूरुस्त करने वाली टीम नहीं होने की बात कर वे भी चल दिए। लोगों ने जब उनसे टैंकर से वैकल्पिक पानी सप्लाय की बात कही तो घंटों इंतजार के बाद महज एक हजार लीटर पानी दे सके। सवाल यह है कि क्या तीन दिन तक एक परिवार में एक हजार लीटर पानी पर्याप्त है।
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एक हजार लीटर पानी के बदले क्या पूरे टैंकर की सप्लाय दिखाने का खेल तो नहीं चल रहा, यह एक जांच का विषय है। क्या शहरवासियों को पीने का शुद्ध पानी देने में देश के सबसे स्वच्छ शहर की नगर निगम सक्षम नहीं है। गौरतलब है कि स्वच्छ जल के अधिकार की गारंटी भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दी गई है। और किसी को भी इससे वंचित नहीं किया जा सकता।