इंदौर रेलवे स्टेशन का कायाकल्प (Renovation Project) बड़े स्तर पर शुरू किया गया था, लेकिन इसकी प्रगति बेहद धीमी है। प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए तीन साल का समय तय किया गया था, मगर मौजूदा हालात देखकर साफ लग रहा है कि तय अवधि में इसे पूरा करना मुश्किल होगा। स्टेशन की पुरानी बिल्डिंग को तोड़ने का काम तक अधूरा है, जबकि कागजों में यह प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ता दिखाया जा रहा है।
सिंहस्थ 2028 के लिए चुनौती
साल 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ महाकुंभ का आयोजन होना है, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु इंदौर होकर उज्जैन जाते हैं। ऐसे में रेलवे स्टेशन का पूरा होना जरूरी है ताकि यात्रियों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। अगर स्टेशन समय पर तैयार नहीं हुआ तो भीड़ को संभालना और सुविधाएं मुहैया कराना रेलवे प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
एक साल बाद भी शुरुआत अधूरी
इस प्रोजेक्ट का भूमिपूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से किया था। इसके लिए अहमदाबाद की एक कंपनी को ठेका भी दिया जा चुका है। बावजूद इसके, अब तक निर्माण कार्य की ठोस शुरुआत नहीं हो सकी है। केवल बैठकों और आश्वासनों तक ही मामला सीमित है। इंदौर के सांसद शंकर लालवानी और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भरोसा दिलाया है कि सिंहस्थ तक जरूरी हिस्से का काम पूरा कर लिया जाएगा, मगर मौजूदा रफ्तार को देखते हुए यह दावा कमजोर नजर आता है।
यात्रियों पर असर और ट्रेन संचालन में बदलाव
निर्माण कार्य की अवधि में यात्रियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। कुछ ट्रेनों का संचालन मुख्य स्टेशन से हटाकर लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन से किया जाएगा। साथ ही, प्लेटफॉर्म बदले जाने और निर्माण कार्य के कारण यात्रियों को रोजाना अपने रूटीन में बदलाव सहना पड़ेगा। इससे भीड़भाड़ और ट्रेनों के समय में असुविधा झेलनी पड़ सकती है।
आधुनिक सुविधाओं से लैस नया स्टेशन
रेनोवेशन पूरा होने के बाद इंदौर रेलवे स्टेशन का रूप बिल्कुल एयरपोर्ट जैसा होगा। यहां सात मंजिला नई बिल्डिंग बनेगी जिसमें बेसमेंट पार्किंग, 26 लिफ्ट, एस्केलेटर, फूड ज़ोन और शॉपिंग एरिया जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। लगभग 500 वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा रहेगी। नए प्लेटफार्मों को सीधी रेखा में बनाया जाएगा, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना कम होगी। टिकट काउंटर और फुट ओवरब्रिज भी आधुनिक तकनीक से तैयार होंगे। इसके अलावा, पार्सल विभाग को अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने की योजना है।
बजट और संभावनाएं
इस प्रोजेक्ट पर करीब 450 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और इसके लिए रेल बजट से राशि का आवंटन हो चुका है। पार्क रोड से स्टेशन को जोड़ने की योजना भी है, जिससे शहर के मुख्य मार्गों पर ट्रैफिक दबाव कम होगा। हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या मौजूदा गति से यह निर्माण कार्य तीन साल में पूरा हो पाएगा या नहीं।