इंदौर। प्रेम और सौहार्द्र की भावनाओं को विविध रंगों में अभिव्यक्त करने वाला रंगपंचमी(Rangpanchami) के त्योहार के लिए पूरा शहर तैयार है। इंदौर में बरसो से रंग पंचमी पर गे(Ger of Indore)र (जलसा) निकलने परम्परा चली आ रही है। हालांकि कोविड की वजह से विगत दो साल से यह त्योहार सामान्य रूप से मनाया गया था , लेकिन इस साल कोविड की विदाई से शहरवासियों में रंगपंचमी मनाने का उत्सव चौगुना बढ़ गया है। हर कोई उत्सव मनाने के लिए बेताब है।
इस बार फागयात्रा को लेकर सरकार भी काफी उत्सुक है। आज ही प्रदेश के CM शिवराज सिंह ने याद फागयात्रा के बहाने लखन दादा को याद किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने नई ओर सकारात्मक सोच के साथ फागयात्रा कि शरुआत करके भारतीय संस्कृति की नई पहचान दी। इस फागयात्रा मे धाम वृन्दावन की अनुभूति होगी , क्योकि इसमे प्रेम मंदिर , बाँके बिहारी ओर राधा कृष्ण का मनोहारी रथ को शामिल किया गया है।
दो साल बाद फिर से शहर में रंगपंचमी पर गेरे निकलने की परंपरा से शुरू हो रही है। रंग पंचमी मस्ती और मजा लेने का त्योहार है , लेकिन कुछ सालों से विभिन्न संस्थाओं द्वारा निकाली जाने वाली गेरो में काफी अश्लीलता बढ़ गई थी। इस धारणा को जड़ से मिटाने के लिए लक्ष्मण सिंह गोड नई सोच के साथ धार्मिक स्तर पर यात्रा निकालने का निर्णय लिया। यह बात है 1998 की है । लखन दादा ने सबसे पहले गेर को नया नाम देते हुए राधा – कृष्ण फ़ाग यात्रा का नाम दिया। यह नाम मथुरा – वृन्दावन में खेली जाने वाली राधा – कृष्ण की होली पर आधारित है।
ऐसे बनी फागयात्रा की पहचान
1998 में पहली बार फ़ागयात्रा निकली। इसके बाद तो आज फ़ागयात्रा प्रदेश की पहचान ही नही बना बल्कि पूरे देश मे राधा कृष्ण फागयात्रा का नाम चल पड़ा। रंगपंचमी पर निकलने वाली फ़ाग यात्रा को देखने ओर आनंद लेने के लिए देश के कोने कोने से लोग आने लगे है।
इसलिए फागयात्रा निकालना शुरू की
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फ़ागयात्रा की शुरुआत करने वाले भाजपा विधायक , वरिष्ठ नेता , पूर्व मंत्री तथा हिंदूवादी नेता लक्ष्मणसिंह गोड़ के पुत्र तथा हिन्द रक्षक संगठन के संयोजक एकलव्य सिंह गोड़ बताते है कि उनके पिताजी ने रंगपंचमी पर आ रही विकृति को दूर करने के उद्देश्य से ही फ़ागयात्रा की शुरुआत की ओर शहर में एक बहुत अच्छा मेसेज लोंगो के बीच पहुंचा और अश्लीलता , छेड़छाड़ जैसी घटनाएं लगभग बंद हो गई।
राधा कृष्ण का रथ ओर महिलाएं
उन्होंने बताया कि हमारी फागयात्रा पूरी तरह से धार्मिक यात्रा रहती है। इसमें राधा – कृष्ण जुगल जोड़ी का रथ रहता है , जिसमे यह राधा कृष्ण की मूर्ति रहती है। रथ के पीछे हजारो महिलाएं भी शामिल रहती है।
फागयात्रा में वृन्दावन के प्रेम मंदिर की प्रतिकृति
हिन्द रक्षक संगठन के संयोजक एकलव्य सिंह गौड़ ने बताया फाग यात्रा को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है। इस फगयात्रा मे वृन्दावन के प्रेम मंदिर की प्रतिकृति के साथ बाँके बिहारी जी के भी दर्शन होंगे।