लखनऊ। उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में बीते साल अक्तूबर में हुई हिंसा मामले में हाईकोर्ट से मुख्य आरोपी को राहत मिली है। बता दें कि, इस मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है। दरअसल, सेशन कोर्ट से जमानत याचिका रद्द होने के बाद आरोपी आशीष मिश्र ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत याचिका डाली थी। जिसके चलते तीन अक्तूबर को तिकुनिया कस्बे में हुई हिंसक वारदात में आठ लोगों की मौत के बाद एसआईटी ने जांच के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी (Ajay Mishr Teni) के पुत्र आशीष मिश्र (Ashish MIishr) मोनू सहित 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।
हाईकोर्ट में आशीष मिश्र मोनू की जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था। वहीं आशीष मिश्र की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जीडी चतुर्वेदी ने अदालत के सामने दलील रखी कि आशीष वह कार नहीं चला रहा था जिसके नीचे दबकर तीन अक्तूबर 2021 को किसानों और प्रदर्शनकारियों की जान गई। वकील ने ये भी दलील रखी कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किसी भी पीड़ित को गोली लगने के घाव की बात नहीं है।
जस्टिस राजीव सिंह की बेंच के सामने आशीष के वकील ने दलील रखी कि अगर प्रॉसीक्यूशन की बात सही भी मानें तो अजय मिश्र सिर्फ चालक की सीट के बगल में बैठे थे और फिर वह भाग गए थे। ऐसा कोई सबूत नहीं है कि आशीष के निर्देश पर थार कार के ड्राइवर ने प्रदर्शनकारियों पर गाड़ी चढ़ाई थी। या फिर ऐसा कृत्य जानबूझकर किया गया। ऐसे में ये भी नहीं कहा जा सकता कि मिश्रा लोगों की मौत के जिम्मेदार हैं। हालांकि, शिकायतकर्ता के वकील इस संबंध में कोई सबूत नहीं दे सके। अंत में, जब न्यायालय मिश्रा की जमानत याचिका में आदेश सुरक्षित रखने वाली थी, तो उनके द्वारा एक सुधार आवेदन दायर किया गया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
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साथ ही केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे को जमानत मिलने पर सुभासपा पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर ने कहा कि, केंद्रीय मंत्री के बेटे को तो जमानत मिल गई लेकिन गाजीपुर बॉर्डर और लखीमपुर में मरने वाले किसानों को न्याय नहीं मिला है। जहां भी भाजपा का निजी हित होता है, उस शख्स को जमानत मिल जाती है और जहां उनका हित नहीं सधता वहां कोई जमानत नहीं होती। ओपी राजभर ने आगे कहा, आशीष मिश्र को सिर्फ इसलिए जमानत मिली है क्योंकि वह मंत्री का बेटा है। भाजपा को पता है कि वह चुनाव हार रही है। भाजपा इस बेल के जरिए ब्राह्मणों को संदेश देना चाहती है कि यह वोट उनके प्रयासों का नतीजा है।