यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) को लेकर जहां राजनीतिक दलों (Political Parties) ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है वहीं तीन शब्दों की भी गूंज चुनाव प्रचार के दौरान सुनाई दे रही है। जिन तीन शब्दों की गूंज की बात यहां हो रही है वे है हिन्दुत्व, राष्ट्र की सुरक्षा और धर्म।
बकौल ये तीन शब्द ऐसे है जिन पर भाजपा जैसी पाटी चुनाव जीतना चाहती है, जबकि उनमें से एक शब्द ऐसा है जिसका उपयोग लगभग ही राजनीतिक दल कर रहे है। यह शब्द है राष्ट्र की सुरक्षा। कुल मिलाकर इन तीन शब्दों का सहारा लेकर भी राजनीतिक दल यूपी में चुनाव को जीतना चाहते है।
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तीन चुनावों से ही ये तीन शब्द
बीते दो विधानसभा चुनावों में प्रचार प्रसार का इतिहास उठाकर देखा जाए तो इन तीनों शब्दों का इस्तेमाल किय गया है। इस 2022 के भी विधानसभा चुनाव में ये ही तीन शब्दों की गूंज सुनाई दे रही है। वैसे बीजेपी के घोर विरोधियों का यह भी कहना है कि भाजपा इन शब्दों का उपयोग कर अन्य जनहित वाले मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाना चाहती है। इसे इत्तेफाक कहे या फिर कुछ ओर चुनाव के दौरान या फिर चुनाव होने के एक वर्ष पहले से ही इन जैसे मुद्दों को प्रमुखता के साथ उठाया जाकर अपने पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास शुरू कर दिया जाता है।
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ये मुद्दे फिलहाल दरकिनार
चुनाव के दौरान फिलहाल जिन प्रमुख मुद्दों को दरकिनार किया गया है उनमें रोजगार किसानों की समस्याएं, विकास की बात और जनता से जुड़े भावनात्मक मुद्दे शामिल है। इधर राजनीति के विशेषज्ञों का कहना है कि बुनियादी मुद्दें रोटी कपड़ा और मकान जैसे बुनियादी मुद्दों को पीछे छोड़ने के बाद भी बात वजूद पर आती है तथा इस कारण भी मतदाताओं का एक खास वर्ग इन जैसे मुद्दों की तरफ खींचा चला आता है।