हिंदूधर्म में हर व्रत का अपना महत्व होता हैं। जिसमें एकादशी का भी अपना अलग महत्व है। हर महीने 2 एकादशी आती हैं, पहली कृष्ण पक्ष मे और शुक्ल पक्ष में। आषाढ़ महीने की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। योगिनी एकादशी में भक्त भगवान विष्णु की आराधना करते हैं और विधि विधान से पूजन अर्जन कर व्रत रखते हैं। पूजा के उपरांत कथा भी सुनते हैं।
व्रत का महत्व
योगिनी एकादशी का व्रत करने से समस्त पाप मिट जाते हैं और मृत्यु के बाद नरक लोक के कष्टों को भी भोगना नहीं पड़ता है। इस व्रत को रखने वाले भक्त को 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने का पुण्य लाभ मिलता हैं। जो भक्त योगिनी एकादशी का व्रत रखते हैं उन्हे मृत्यु के बाद देवदूत लेने आते हैं। उनकी आत्मा को स्वर्ग में स्थान मिलता हैं। योगिनी एकादशी का व्रत करने वालो को व्रत के पुण्य और भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती हैं और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
व्रत का समय
इस बार योगिनी एकादशी 23 जून रात्रि 9 बजकर 41 मिनट से लेकर 24 जून रात्रि 11 बजकर 12 मिनिट तक है। इसके बाद 25 जून सुबह 05 बजकर 51 मिनट से 08 बजकर 31 मिनट तक पारण का समय होगा। हिंदू धर्म में हर व्रत त्यौहार को बहुत उत्सव के साथ मनाते हैं और एकादशी भी उन्ही में से एक है। योगिनी एकादशी का सवार्थ और सिद्धि योग बन रहा है। यह पूजा के लिए बहुत शुभ है।
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पूजा विधि
योगिनी एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा- अर्चना करना चाहिए। भगवान को फल – फूल अर्पित करने के बाद उनकी आरती करना चाहिए। इस दौरान गुड़ चने का भी प्रसाद चढ़ाना चाहिए। पूजा से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं जिससे सकारात्मक ऊर्जा शरीर में प्रवेश करती है और माता लक्ष्मी धन, धान्य, समृद्धि का आशीर्वाद देती है।
व्रत के नियम
योगिनी एकादशी का व्रत करने वाले भक्त को व्रत के समय से जब तक इसका पारण ना हो जाए अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।
इस दिन मांस मदिरा के सेवन से भी बचना चाहिए।
इस व्रत को करते समय व्रती को ब्राह्मचार्य का पालन करना चाहिए।
जरूरतमंदों की मदद करना चाहिए और झूठ नहीं बोलना चहिए।
किसी के भी साथ बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिए।