Yaganti Uma Maheshwar Temple : भारत में बहुत से प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर हैं, जिनके बारे में जानकर लोग हैरान रह जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित है, जिसे श्री यांगती उमा महेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर अपनी अद्भुत चमत्कारिक विशेषताओं और ऐतिहासिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है। यहां पर स्थित भगवान शिव की नंदी जी की मूर्ति का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है, जो एक अजीब और अनसुलझा रहस्य बन चुका है।
श्री यांगती उमा महेश्वर मंदिर (Yaganti Uma Maheshwar Temple)
श्री यांगती उमा महेश्वर मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित है, जो हैदराबाद से लगभग 308 किमी और विजयवाड़ा से 359 किमी दूर है। यह मंदिर 15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के संगम वंश के राजा हरिहर बुक्का राय द्वारा बनवाया गया था। इस मंदिर का निर्माण वैष्णव परंपराओं के अनुसार हुआ था, जो पल्लव, चोल, चालुक्य और विजयनगर शासकों की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाता है।
मंदिर के स्थापत्य में इन प्राचीन शासकों की छाप स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, और यह स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है, और यहां पर स्थित नंदी जी की मूर्ति को लेकर कई रहस्यमयी घटनाएं प्रचलित हैं।
लगातार बढ़ रहा हैं नंदी की मूर्ति का आकार
शिव मंदिरों में नंदी जी की मूर्ति का होना सामान्य बात है, लेकिन श्री यांगती उमा महेश्वर मंदिर की नंदी मूर्ति अपनी चमत्कारी बढ़ती हुई स्थिति के कारण प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यह मूर्ति हर 20 साल में लगभग एक इंच बढ़ती है। वैज्ञानिक भी इस घटना को समझने में असमर्थ हैं। इस अद्भुत घटना को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि कलयुग के अंत में नंदी जी की मूर्ति एक विशाल रूप लेगी और उस दिन महाप्रलय होगा, जिसके बाद कलयुग का अंत हो जाएगा।
इस बढ़ते आकार के कारण मंदिर के खंभों को हटाना पड़ रहा है, और यह चमत्कारी घटना स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय बनी रहती है। लोग मानते हैं कि इस बढ़ती मूर्ति के पीछे कोई दिव्य शक्ति कार्यरत है, जो इस रहस्य को और भी गूढ़ बनाती है।
अगस्त्य ऋषि से हैं खास सम्बन्ध
श्री यांगती उमा महेश्वर मंदिर की स्थापना को लेकर एक प्राचीन कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार, अगस्त्य ऋषि ने इस मंदिर की स्थापना की थी। वह यहां भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर बनवाना चाहते थे, लेकिन मूर्ति की स्थापना के दौरान अचानक मूर्ति का अंगूठा टूट गया। इस घटना से नाराज होकर ऋषि ने भगवान शिव की आराधना की, और भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए। उन्होंने अगस्त्य ऋषि से कहा कि यह स्थान कैलाश पर्वत के समान है, इसलिए यहां शिव का मंदिर बनाना ही उचित होगा।
इसके बाद, अगस्त्य ऋषि ने भगवान शिव की आराधना की और इस स्थान पर शिव मंदिर की स्थापना की। इस प्रकार, इस मंदिर का इतिहास और धार्मिक महत्व गहरे और अद्वितीय हैं।
श्राप के कारण नहीं आते यहां कौए
श्री यांगती उमा महेश्वर मंदिर में एक और अनोखी बात यह है कि यहां पर कभी भी कौए दिखाई नहीं देते। यह घटना भी एक प्राचीन कथा से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि जब अगस्त्य ऋषि तपस्या कर रहे थे, तब कुछ कौए उन्हें परेशान कर रहे थे। नाराज होकर अगस्त्य ऋषि ने उन कौओं को श्राप दिया कि वे इस स्थान पर कभी नहीं आ सकेंगे। तभी से इस मंदिर के आस-पास कोई भी कौआ दिखाई नहीं देता।
यह घटना मंदिर के रहस्यों और चमत्कारी प्रभाव को और भी गूढ़ बनाती है। इस श्राप के कारण स्थानीय लोग इस मंदिर के प्रति और भी श्रद्धा रखते हैं और इसे एक विशेष स्थान मानते हैं।
कलयुग के अंत में जग उठेंगे नंदी
पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र हैं ये मंदिर
श्री यांगती उमा महेश्वर मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है। मंदिर की वास्तुकला, यहां की पूजा विधियां और चमत्कारी घटनाएं इसे पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बनाती हैं। हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं, ताकि वे भगवान शिव की पूजा अर्चना कर सकें और इस रहस्यमयी मंदिर का अनुभव ले सकें।
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