मध्यप्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव पर विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, सरकार कर्मचारियों की छुट्टियों में कटौती करने का मन बना रही है। इसके लिए गृह, वित्त, राजस्व और सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिवों (ACS) की चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जो इस मसले पर मंथन कर रही है। यह कदम खासतौर पर पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी छुट्टियों और कामकाज पर पड़े प्रभाव को ध्यान में रखते हुए उठाया जा रहा है।
वर्किंग-डे घटे, छुट्टियां बढ़ी
कोविड-काल और कुछ राजनीतिक कारणों से कर्मचारियों की छुट्टियों में वृद्धि हुई है, जिससे सरकारी कामकाज और आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा है। वर्तमान में कर्मचारियों के वर्किंग-डे घटकर 168 रह गए हैं जबकि छुट्टियां बढ़कर 197 हो गई हैं। यही कारण है कि सरकार ने इस पर समीक्षा करने और सुधारात्मक कदम सुझाने के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई है।
कमेटी की प्राथमिकताएं और विचार
कमेटी ने अपने काम का आरंभ कर दिया है। चर्चा के मुख्य बिंदुओं में कोविड-काल में लागू की गई शनिवार की छुट्टी (फाइव-डे वर्किंग) को खत्म करने पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा, धार्मिक आधार पर दी जाने वाली छुट्टियों को केवल संबंधित धर्म के कर्मचारियों तक सीमित करने का सुझाव भी सामने आया है। इसका मतलब यह है कि अब हिंदू, मुस्लिम और ईसाई पर्वों पर केवल उन्हीं धर्म के कर्मचारियों को छुट्टियां मिलेंगी।
वर्तमान में कर्मचारियों को मिलने वाली छुट्टियां
सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के अनुसार, वर्तमान में कर्मचारियों को विभिन्न प्रकार की छुट्टियां मिलती हैं। इनमें 30 दिन आपातकालीन अवकाश, 20 दिन चिकित्सा अवकाश, 13 अनिवार्य छुट्टियां, 52 शनिवार, 52 रविवार, 27 सरकारी अवकाश, 3 वैकल्पिक अवकाश और जिला स्तर पर कलेक्टर द्वारा घोषित 3 अतिरिक्त अवकाश शामिल हैं। इसके अलावा महिला कर्मचारियों को 6 महीने का मातृत्व अवकाश भी मिलता है।
कर्मचारी संघ की प्रतिक्रिया
मप्र मंत्रालयीन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष इंजीनियर सुधीर नायक का कहना है कि कर्मचारियों ने कभी छुट्टियों की मांग या आंदोलन नहीं किए। उनका कहना है कि जितनी भी छुट्टियां मिल रही हैं, वे अधिकतर राजनीतिक लाभ के लिए घोषित की जाती हैं। नायक ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने अभी तक छुट्टियों में कटौती को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। पहले आदेश जारी होने के बाद ही कर्मचारी और संघ कोई प्रतिक्रिया देंगे।
संक्षिप्त प्रभाव और कर्मचारी चिंता
यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो कर्मचारियों के कामकाज और व्यक्तिगत जीवन पर असर पड़ सकता है। छुट्टियों में कटौती से न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत योजनाओं पर प्रभाव पड़ेगा बल्कि कार्यालय में कार्यभार बढ़ने की संभावना भी है। कर्मचारी संघ और प्रशासन दोनों ही इस मामले को सावधानीपूर्वक देख रहे हैं।