Ganesh Chaturthi 2021: अगर आ रही विवाह से जुड़ी बाधाएं तो गणेश चतुर्थी पर करें इन मंत्रों का जाप

Pinal Patidar
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भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि से लेकर चतुर्दशी तिथि तक गणेश महोत्सव (Ganesh Mahotsav) चलता है जिसे गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर्व की शुरुआत 10 सितंबर 2021 (शुक्रवार) के दिन से हो रही है और 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन उन्‍हें विदाई दी जाएगी। हिंदू धर्म में गणेश भगवान (Lord Ganesha) को प्रथम पूजनीय का दर्जा प्राप्त है, अर्थात किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है और इसके बाद ही काम शुरू किया जाता है।

Ganesh Chaturthi 2021: अगर आ रही विवाह से जुड़ी बाधाएं तो गणेश चतुर्थी पर करें इन मंत्रों का जाप

कहते हैं ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन की तमाम समस्याएं दूर होती हैं और होने वाला काम बिना किसी अमंगल के पूरा होता है और साथ ही गणेश भगवान की पूजा से व्यक्ति को किसी भी तरह के रोग, आर्थिक समस्या, नौकरी, मकान, व्यवसाय, संतान से संबंधित समस्याओं का हल भी मिल जाता है। गणेश पूजा के दौरान कई प्रकार के मंत्रों का जाप किया जाता है, जिससे भक्तों की सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। श्री गणेश अपने भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं और उनके जीवन में आ रहे विघ्नों को दूर करते हैं। इसलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है।

Ganesh Chaturthi 2021: अगर आ रही विवाह से जुड़ी बाधाएं तो गणेश चतुर्थी पर करें इन मंत्रों का जाप

इस मंत्र के जाप से दूर होती है वैवाहिक समस्याएं
ऐसे कई लोग होते है जिन्हें विवाह में बांधा आती हैं। यदि किसी के विवाह में बाधा आ रही है, तो उसे गणेश चतुर्थी पूजा के दौरान गणेश जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि इस मंत्र के जाप करने से विवाह संबंधी समस्या समाप्त हो जाएगी तथा अविवाहित लड़कियों को मनचाहा वर भी मिलेगा।

Ganesh Chaturthi 2021: अगर आ रही विवाह से जुड़ी बाधाएं तो गणेश चतुर्थी पर करें इन मंत्रों का जाप

गणेश चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश के प्रभावशाली मंत्रों का जाप करने से भक्तों का वैवाहिक जीवन मंगलमय और सुखमय बनता है। विवाह कार्यों में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करने से योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति भी होती है।

मंत्र:
‘ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा’