भारत ने गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अत्यधिक गरीबी का स्तर 2011-12 में जहां 16% था, वह 2022-23 में घटकर मात्र 2.3% रह गया है। इससे संकेत मिलता है कि बीते दशक में करीब 17.1 करोड़ लोग अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा (2.15 डॉलर प्रतिदिन की क्रय शक्ति समता) से ऊपर उठ चुके हैं।
मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख राज्यों में गरीबी में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2011-12 में जहां 65% लोग अत्यधिक गरीबी में जीवन यापन कर रहे थे, वहीं 2022-23 तक यह आंकड़ा दो-तिहाई तक घट चुका है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और जनकल्याणकारी नीतियों का परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि, “प्रधानमंत्री के समावेशी विकास के विजन ने युवाओं, किसानों, महिलाओं और कमजोर वर्गों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं।” डॉ. यादव ने आगे कहा कि मध्यप्रदेश ने गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में अग्रणी प्रदर्शन किया है और राज्य सरकार निरंतर सामाजिक व आर्थिक सुधारों पर काम कर रही है।
रोज़गार के मोर्चे पर भी सकारात्मक संकेत
शहरी बेरोजगारी दर में भी सुधार देखा गया है। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में यह घटकर 6.6% हो गई है, जो कि 2017-18 के बाद का सबसे न्यूनतम स्तर है। वहीं, महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी और स्वरोजगार के अवसरों में वृद्धि भी दर्ज की गई है।
हालांकि, युवा बेरोजगारी की चुनौती अब भी बनी हुई है, खासकर उच्च शिक्षित युवाओं के बीच, जहां यह दर 29% तक पहुंच गई है। फिर भी, समग्र आर्थिक संकेतक देश के सतत विकास की ओर इशारा कर रहे हैं।