ऑक्सीजन जोन सूखे, सरकार ने बोरिंग भी किए बंद, इंदौर की साँसें अब किस भरोसे?

इंदौर में हुकुमचंद मिल परिसर में पेड़ कटाई के विरोध में पर्यावरणप्रेमियों ने प्रदर्शन किया, जहाँ हजारों पेड़ों की बलि देकर हाउसिंग प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। नागरिकों ने आरोप लगाया कि पेड़ों के कटने से न केवल शहर की ऑक्सीजन आपूर्ति प्रभावित होगी, बल्कि इंदौर का भविष्य भी खतरे में पड़ जाएगा।

Abhishek Singh
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इंदौर में पेड़ कटाई के विरोध में पर्यावरणप्रेमियों ने आज हुकुमचंद मिल परिसर में प्रदर्शन किया। इस क्षेत्र में हजारों पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है, जहां एमपी हाउसिंग बोर्ड अपना प्रोजेक्ट शुरू करने वाला है। नागरिकों का कहना है कि मिल क्षेत्र के ये पेड़ प्रतिदिन शहर को लाखों टन ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और इनके कारण आधे से अधिक इंदौर में बोरिंग का जल स्तर सुरक्षित है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार केवल पेड़ नहीं काट रही, बल्कि इंदौर का भविष्य भी खतरे में डाल रही है। प्रदर्शन के दौरान महिलाओं और बच्चों ने पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लिया।

लगातार उठ रही आवाजें, फिर भी प्रशासन मौन

हाल ही में साई सत्य चौराहे पर फ्लायओवर ब्रिज निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई की गई। अभी भी अनगिनत पेड़ों पर खतरा मंडरा रहा है। पर्यावरण प्रेमी लगातार शहरवासियों और भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्यावरण विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज़ अनसुनी रह रही है। कुछ दिन पहले रीगल चौराहे पर मानव श्रृंखला बनाकर भी विरोध दर्ज कराया गया था। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सिर्फ हुकुमचंद मिल ही नहीं, बल्कि सभी मिल क्षेत्रों की भूमि पर सिटी फॉरेस्ट विकसित किया जाए।

विकास के नाम पर हरियाली पर वार

पर्यावरण प्रेमियों, जिनमें डॉ. दिलीप वाघेला, एसएल गर्ग, अभय जैन और अजय लागू सहित सभी नेचर लवर्स शामिल हैं, ने बताया कि विकास के नाम पर हुकुमचंद मिल परिसर के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि ये केवल पेड़ नहीं, बल्कि शहर के फेफड़े हैं, जो न सिर्फ ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, बल्कि लू और गर्म हवाओं से भी रक्षा करते हैं। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि विकास के नाम पर प्रतिदिन शहर के किसी न किसी हिस्से में पेड़ काटे जा रहे हैं, जो वास्तव में विकास नहीं, बल्कि विनाश की राह है।