अब ट्रंप के हाथों में अमेरिका की कमान! डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही यूरोप में क्यों मची हलचल?

srashti
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डोनाल्ड ट्रंप ने वाशिंगटन डीसी के कैपिटल रोटुंडा में 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। कड़ी ठंड के कारण शपथ ग्रहण समारोह को बंद कमरे में आयोजित किया गया। शपथ लेने के बाद, ट्रंप ने अपने प्रशासन के लिए तुरंत कार्यवाही शुरू की और इमीग्रेशन और सीमा सुरक्षा के संबंध में पहले से तैयार कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए। हालांकि, उनके शपथ ग्रहण के साथ ही यूरोप के कुछ देशों में चिंता और असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है, खासकर नाटो और अमेरिका-यूरोप संबंधों को लेकर।

नाटो और यूरोप के देशों पर ट्रंप का दबाव

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने से पहले ही नाटो पर सवाल उठाए थे। नाटो, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप की सुरक्षा का एक प्रमुख स्तंभ रहा है, ट्रंप के लिए हमेशा एक विवाद का विषय रहा है। उन्होंने कहा था कि यदि नाटो सदस्य देश अपनी रक्षा खर्च में वृद्धि नहीं करते, तो वे गठबंधन छोड़ सकते हैं। उनके इस बयान से नाटो के अन्य सदस्य देशों में चिंता बढ़ गई, खासकर यूरोपीय देशों में।

नाटो के हालिया आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका, ग्रीस, एस्टोनिया, यूके, और पोलैंड जैसे देश रक्षा खर्च में 2 फीसदी या उससे अधिक खर्च करते हैं, जबकि फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े यूरोपीय देश इससे कम खर्च करते हैं। ट्रंप ने यूरोपीय संघ को चेतावनी दी कि अगर वे अमेरिकी उत्पादों को कम खरीदते रहे, तो उन्हें इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा था कि यूरोप को टैरिफ और अन्य व्यापारिक नीतियों के जरिये अमेरिकी घाटे को कम करना पड़ेगा।

फ्रांस और यूरोप में बढ़ी चिंता

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने ट्रंप की नीतियों को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा, “अगर अमेरिका भूमध्य सागर से अपने युद्धपोतों को वापस लेता है तो हम यूरोप में क्या करेंगे?” उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप अब सिर्फ अमेरिका के भरोसे नहीं बैठ सकता और अब समय आ गया है कि यूरोप अपने रक्षा उद्योगों में निवेश बढ़ाए। फ्रांस के प्रधानमंत्री ने ट्रंप के उद्घाटन को लेकर कहा कि यह एक ऐसी राजनीति की शुरुआत है जो यूरोप के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।

उनका कहना था, “अगर हमने कुछ नहीं किया तो यूरोप को हाशिये पर डाल दिया जाएगा। हमें ट्रंप की नीतियों का मुकाबला करने के लिए रणनीति तैयार करनी होगी, वरना पूरे यूरोप को नुकसान हो सकता है।”

जर्मनी में भी टेंशन बढ़ी

जर्मनी में भी ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से संबंधित चिंता बढ़ गई है। जर्मनी के अमेरिकी दूत आंद्रेयास मिषाएलिस के एक गोपनीय केबल लीक में यह बात सामने आई कि ट्रंप राष्ट्रपति पद को और अधिक शक्तिशाली बनाना चाहते हैं, जिससे अमेरिकी लोकतंत्र कमजोर हो सकता है। इस लीक के बाद जर्मनी की सरकार ने ट्रंप के दूसरे कार्यकाल को लेकर अपनी रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है। जर्मनी की विदेश मंत्री ने भी इस बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि “हमें इसके लिए तैयारी करनी होगी क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति पहले ही अपनी नीतियों का ऐलान कर चुके हैं।”