इंदौर। पहले ऐसा माना जाता था कि सिर्फ सुंदर दिखने या अपना चेहरा सुधारने के लिए लोग प्लास्टिक सर्जरी का सहारा लेते है। लेकिन समय के साथ-साथ प्लास्टिक सर्जरी में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिले है आज के समय में प्लास्टिक सर्जरी से जेंडर चेंज हो रहे है, अंगों का ट्रांसप्लांट हो रहा है उसके साथ ही अंगों को दोबारा भी बनाया जा रहा है। ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में 5 दिन चलने वाली एसोशिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन्स ऑफ इंडिया की 57वीं वर्षीक कॉन्फ्रेंस( एप्सिकोन) में देशभर से आये डॉक्टरों ने प्लास्टिक सर्जरी से जुड़े मिथ एवं उपचारों के बारे में चर्चा की। इंदौर के लिए यह गर्व की बात है कि एप्सिकोन 57 वर्ष में पहली बार मध्यप्रदेश में इंदौर में हो रही है इस कॉन्फ्रेंस से इंदौर में प्लास्टिक सर्जरी के क्षेत्र में बेहतर बदलाव देखने को मिलेंगे।
एप्सिकोन कमेटी के अध्यक्ष डॉ नितिन मोकल ने बताया कॉन्फ्रेंस में 5 दिन रोज़ 3 अलग -अलग हॉल में दो अलग अलग सत्रों में 72 वीडियो प्रेजेंटेशन्स होंगे। पहले पूरी दुनिया में सिर्फ यूके एवं यूएसए में ही सबसे ज्यादा कॉस्मेटिक सर्जरी होती थी लेकिन अब हमारे भारत में भी इसका चलन बढ़ गया है। चेहरे की ग्रोथ आमतौर पर 18 वर्ष की आयु के बाद पूरी तरह हो जाती है इसलिए कॉस्मेटिक सर्जरी 18 वर्ष की आयु के बाद ही कि जाती है।
फ्लैट पेट साबित हो सकता है मददगार:
डॉ. निशांत खरे (प्लास्टिक सर्जन) ने बताया कि बीते कुछ सालों में सोशल मीडिया का चलन बढ़ा है। ऐसे में लोगों में आकर्षक दिखने की होड़ सी लगी है। इससे कॉस्मेटिक सर्जरी की मांग कई गुना बढ़ गई है कॉस्मेटिक सर्जरी की मदद से पेट से चर्बी को भी हटाया जा सकता है। इसको टमी टक प्रक्रिया कहते हैं। इसमें पेट से चर्बी को हटा दिया जाता है। अगर किसी मरीज को पेट की चर्बी बढ़ने की समस्या है तो वह कॉस्मेटिक सर्जरी का सहारा ले सकते हैं।
डॉ. निशांत खरे ने आगे बताया हादसे के उपरांत कटी अंगुलियां, कटे हुए हाथ-पैर जोड़ने, अन्य चोटों को ठीक करने के लिए प्लास्टिक सर्जरी कारगर है। जन्मजात विकृतियां कान का न बना होना, कान व नाक का छेद छोटा होना, चिपकी हुई अंगुलियां, कटे फटे होंठ व तालू का उपचार भी संभव है।
डॉ खरे ने आगे बताया कि हम सबके सपनों का एक भारत है और उस भारत को उन उचाईयों तक पहुचाने के लिए हम सभी को साथ में काम करना होगा चाहे वह काम आर्मी अफसर बन कर करें या वकील बन कर, राजनीति के जरिये या चाहे वो मेडिकल के क्षेत्र में हो हमारे सपनो का भारत तब ही बन पाएगा जब हम हर एक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करें।
भारत में भी होगा फेस ट्रांसप्लांट:
डॉ. सतभाई ने बताया कि भारत देश में फेस ट्रांसप्लांट पर भी काम किया जा रहा है। जिस तरह एसिड अटैक में किसी का चेहरा जल जाता है, उसे नार्मल रेकन्सट्रक्टिव सर्जरी से ठीक नहीं कर सकते उसके लिए कडैवेरिक डोनर(ब्रेन डेड) फेस भी डोनेट कर सकता है। भारत में अब तक एक भी फेस ट्रांसप्लांट नहीं हुआ है हम लोग इसके लिए भी प्रयास कर रहे है जबकि यूरोप में फेस ट्रांसप्लांट हो चुका है।