खाद्य विभाग की मिलीभगत से पानी पतासे वाले कर रहे हैं इंदौर को बीमार

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अर्जुन राठौर। इंदौर का खाद्य तथा औषधि विभाग रिश्वतखोरी का सबसे बड़ा अड्डा बना हुआ है यहां पर पहले स्वामी नाम के एक अधिकारी थे जिन्हें शिकायतें मिलने के बाद कलेक्टर द्वारा हटा दिया गया लेकिन उनके जाने के बाद भी यहां पर रिश्वतखोरी जमकर चल रही है।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि इंदौर शहर में सैकड़ों की संख्या में पानी पतासे वाले जगह जगह पर दूषित तथा साइट्रिक एसिड वाले पानी का खुलेआम उपयोग करके इंदौर शहर को बीमार बनाने में लगे हुए हैं देखा जाए तो पतासे का पानी बनाने के लिए या तो अमचूर या फिर इमली का उपयोग किया जाना चाहिए लेकिन इनका उपयोग करने पर पतासे की पानी की लागत बढ़ जाती है और दुकानदार अधिक मुनाफा कमाने के लिए साइट्रिक एसिड सहित ऐसे केमिकल की कुछ बूंदे पानी में डाल देते हैं जिससे एक मटका भर पानी तुरंत तैयार हो जाता है।

लेकिन यह पानी लोगों के पेट में जाकर अल्सर सहित अनेक गंभीर बीमारियां उत्पन्न कर रहा है इस बारे में डॉक्टर भी चेतावनी दे चुके हैं। पानी पतासे वाले सड़कों के किनारों पर खड़े होकर या दुकानों में अपने गंदे हाथ लगातार पानी वाले मटके में डालते रहते हैं जबकि उन्हें दस्ताने पहनकर पानी पतासे को पानी में डूबाना चाहिए लेकिन ऐसा बहुत कम स्थानों पर होता है इसका नतीजा यह है कि उनके हाथों की गंदगी लगातार पानी में मिलती रहती है और यही वजह है कि लगातार पानी पतासे का सेवन करने वाले बीमार होकर डॉक्टरों के पास पहुंचते हैं। इसके अलावा जो पतासा बनाया जा रहा है उसे भी पाम ऑयल सहित घटिया ऑयल ही में बनाया जाता है ताकि बेहद सस्ती दरों पर उन्हें बेचा जा सके।

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इंदौर जैसे शहर में खाद्य तथा औषधी विभाग का कार्यालय है लेकिन यहां के इंस्पेक्टर और अधिकारी कभी भी दूषित पानी पतासे बेचने वालों के यहां छापा मारने की कोई कार्यवाही नहीं करते बल्कि दुकानों से उनके हफ्ते बंधे हुए रहते हैं जिसकी वसूली के लिए पहुंच जाते हैं स्मार्ट सिटी बन रहे इंदौर में लोगों को बीमार करने का जो षड्यंत्र चल रहा है उसमें खाद्य तथा औषधि विभाग की मिलीभगत साफ दिखाई देती है।