25 जुलाई को होगा ऑनलाइन आयोजन, कारगिल के शहीदों को देंगे श्रद्धांजलि

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इंदौर। भारतीय सेना ने 26 जुलाई, 1999 को कश्मीर के कारगिल जिले में पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा कब्जा की गई चौकियों पर नियंत्रण पाकर विजय पाने में सफलता हासिल की थी। इसके लिए हमारी सेना ने ऑपरेशन विजय चलाया था। ऑपरेशन विजय की सफलता के बाद इस दिन को कारगिल विजय दिवस का नाम दिया गया। इस विजय दिन का उत्सव मनाने को देश में कई जगह कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। इसी कड़ी में इंदौर में डॉ संदीप जुल्का और हेल्थ केयर सोल्जर्स के द्वारा हर वर्ष विशेष कार्य्रकम आयोजित किए जाते हैं। इस वर्ष कोरोनाकाल को देखते हुए यह कारगिल विजय दिवस का कार्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से 25 जुलाई 2021, रविवार को शाम 5.30 बजे आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम के माध्यम से कारगिल के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। शहर के ख्यात चिकित्सक डॉ. संदीप जुल्का और हेल्थ केयर सोल्जर्स संस्था के द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में सेवानिवृत्त आर्मी ऑफिसर्स और शहर के प्रतिष्ठित नागरिक शामिल होंगे। जिनमें प्रमुख रूप से श्री मीर रंजन नेगी जी, सत्यसाई स्कूल की प्रिंसिपल नेहरू मैडम, श्री राजेश भार्गव जी, मेजर जर्नल डॉ एस के नीमा, कर्नल निखिल दिवान जी, कर्नल आशीष मंगुरकर जी, एयर कमोडोर विनोद चोपड़ा जी आदि शिरकत करेंगे। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ शेलेक्सी वर्मा के गीत के साथ की जाएगी। उनके गीत के बाद श्री ध्रुव नारायण भान (मुंबई), श्रीमती किआ जोशी भी अपने गीत प्रस्तुत करेंगी। कार्यक्रम का संचालन डॉ संदीप जुल्का के द्वारा किया जाएगा। यह प्रोग्राम वेबेक्स प्लेटफॉर्म पर आयोजित होगा। जिसके तहत लगभग 25 शहरों से जुड़ा जाएगा। गौरतलब है कि डॉ. संदीप जुल्का और हेल्थ केयर सोल्जर्स द्वारा हर वर्ष कारगिल विजय दिवस मनाया जाता रहा है। पिछले वर्ष इस दिन को मनाने के लिए डॉ. जुल्का के मार्गदर्शन में हेल्थ केयर सोल्जर्स की पूरी टीम साइकिल से महू गई थी।

डॉ. संदीप जुल्का ने बताया कि “यह दिवस हमें अपने सैनिकों के साहस, शौर्य और समर्पण की याद दिलाता है। यह दिन है उन शहीदों को याद कर अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित करने का, जो हंसते-हंसते मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। यह दिन उन महान और वीर सैनिकों को समर्पित है जिन्होंने हमारे आने वाले सुखद कल के लिए अपने आप को बलिदान कर दिया। हमें भूलना नहीं चाहिए कि 1965 की लड़ाई में तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने कहा था कि देशवासियों को एक दिन का खाना यदि कम भी खाना पड़े तो भी खाना हमारी सेनाओं को पहुंचते रहना चाहिए। इसीलिए हमारा कर्तव्य है कि हम अपने फौजी भाइयों को बताए कि हम हर वक्त उनके साथ खड़े है। इसीलिए हर वर्ष वीरता और गौरव की अद्भुत मिसाल के रूप में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।”

डॉ. जुल्का ने आगे बताया कि -“ज़िंदगी में इतनी शिद्दत से निभाओ अपना किरदार कि पर्दा गिरने के बाद भी तालियां बजती रहे। यह आखिरी मैसेज था शहीद कर्नल एम एन राय का, जो कि शहीद हुए थे पुलवामा में आतंकियों से लड़ते हुए। वहीं, परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा ने कारगिल में कहा था कि मैं या तो तिरंगा फहराकर आऊंगा या तिरंगे में लिपटकर आऊंगा किंतु वापस आऊंगा जरूर और वे वीरगति को प्राप्त हुए थे। इनका जोश और जज़्बा हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत है। ऐसा कहा जाता है कि आप ये पूछे कि आप अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं न कि यह कि देश आपके लिए क्या कर सकता है।”