मुंबई। सोमवार को शिवसेना नेता संजय राउत ने नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों को अपना समर्थन दिया है। राउत ने न्यूज़ एजेंसी से कहा कि, हमने सदन में किसान बिल के समर्थन में कोई वोटिंग नहीं की। हम किसानों और जनता का रिएक्शन देखना चाहते थे, लोकतंत्र में जनता क्या सोच रही है, उसे देख कर फैसला करना पड़ता है। उन्होंने आगे कहा कि, अगर आज पंजाब और हरियाणा का किसान रास्ते पर है तो वह इस कानून का विरोध कर रहे हैं और इसलिए हमने उन्हें समर्थन दिया है।
शिवसेना नेता ने कहा कि, “हमने सरकार से भी यही अपील की है कि सरकार ने कानून बनाया है, लेकिन किसान इसे नहीं चाहते हैं, लिहाजा इस पर विचार किया जाए और किसानों की मांगे मानी जाएं।” वही, जब उनसे एनसीपी प्रमुख शरद पवार को लेकर सवाल किया गया तब उन्होंने कहा कि, “शरद पवार साहब ने एपीएमसी कानून में बदलाव को लेकर 10 साल पहले कुछ खत लिखा होगा, लेकिन आज जो किसान हैं, वह इस कानून का विरोध कर रहा है। किसानों को ऐसा लग रहा है कि उनके साथ धोखा किया जा रहा है। चीटिंग की जा रही है। कुछ उद्योगपतियों के फायदे के लिए यह बनाया गया है। यह भावना किसानों की है। ऐसे में अगर हम किसानों की बात नहीं सुनेंगे तो फिर किसकी बात सुनेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि, “सदन में हमने हमारी बात मजबूती से रखी, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि सरकार जल्दबाजी में यह कानून पास कराना चाहती थी। हमारी तो यह मांग थी कि इस बिल को चर्चा के लिए सिलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया जाए और सभी स्टेकहोल्डर से बात करने के बाद ही इस तरह का कानून जो है वह लाना चाहिए।”
साथ ही देश में जारी किसान आंदोलन पर उठ रहे सवाल पर संजय राउत ने कहा कि, “जो आंदोलन चल रहा है यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं है। राजनीतिक आंदोलन का आरोप लगाना सरासर गलत है। यह पूरी तरीके से किसानों का आंदोलन है।” संजय राउत ने कहा कि, “हमेशा सरकार डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी को अपनाकर इस तरह के आंदोलन को खत्म करने में कामयाब हो पाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है, किसान अड़े हुए हैं। 20-25 संगठन इस बार साथ में आए हैं और इसमें कोई भी राजनीतिक पार्टी सीधे तौर पर नहीं जुड़ी है। यह जरूर है कि कई राजनीतिक पार्टियों ने जो भारत बंद का ऐलान किसानों ने किया है उसका समर्थन किया है।