पति-पत्नी की रजामंदी से तलाक के लिए 6 महीने का इंतजार अनिवार्य नहीं, सर्वोच्च अदालत ने जारी किया आदेश

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देश की सर्वोच्च अदालत ने आज आपसी सहमति से तलाक के लिए 6 महीने की अनिवार्य प्रतीक्षा की अवधि खत्म कर दिया है। जिसके बाद अब पति-पत्नी आपसी सहमति से एक हफ्ते में ही तलाक ले सकते है। आदेश जारी करते हुए अदालत ने कहा कि शादी बचने की गुंजाइश नहीं होने और पति-पत्नी के बीच सहमति होने पर वह शादी को तुरंत भंग करने का आदेश दे सकता है। इसके लिए तलाक की 6 महीने की प्रतीक्षा अवधि को भी खत्म किया जा सकता है।

जानें क्या था पूरा मामला?

दरअसल बीतें काफी समय से सुप्रीम कोर्ट में मुद्दा था कि क्या हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13B के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि को माफ किया जा सकता है और कोर्ट सीधे तौर पर अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए तलाक दे सकता है? इसी को लेकर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। इसके अनुसार, पक्षकारों को फैमिली कोर्ट में रेफर नहीं किया जाएगा, जहां उन्हें तलाक के लिए 6 से 18 महीने तक इंतजार करना होता है।

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जस्टिस एस के कौल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत पूरा न्याय करने का अधिकार है। आपसी सहमति से तलाक के लिए 6 महीने की अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि को शर्तों के तहत समाप्त किया जा सकता है। जहां शादी के बचने की गुंजाइश न हो, ऐसे मामलों में आपसी सहमति से तुरतं संबंध विच्छेद हो सकते हैं।