मध्य प्रदेश सरकार की मोहन कैबिनेट ने हाल ही में सरकारी विश्वविद्यालयों में ‘कुलपति’ के पदनाम को बदलकर ‘वाइस चांसलर’ करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इस फैसले का उद्देश्य यह है कि राज्य के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों में ‘कुलपति’ की जगह ‘वाइस चांसलर’ पदनाम का उपयोग किया जाए। यह बदलाव प्रशासनिक पदों को भारतीय परंपराओं के अनुरूप नया रूप देने और पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया है।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में नियम का उल्लंघन
इस निर्णय के बावजूद, इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में इस नए नियम का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है। कुलपति डॉ. रेणु जैन के कार्यालय के बाहर ‘वाइस चांसलर’ का नाम लिखा हुआ है, जैसा कि नए आदेश के तहत होना चाहिए। लेकिन, उनके सरकारी वाहन पर अभी भी पुराना पदनाम ‘कुलपति’ लिखा हुआ है। इस स्थिति ने यह सवाल उठाया है कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन ने सरकार के आदेश की अनदेखी की है।
मोहन कैबिनेट का निर्णय
डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में कैबिनेट ने यह निर्णय लिया था कि सरकारी विश्वविद्यालयों में ‘कुलपति’ का पदनाम बदलकर ‘वाइस चांसलर’ किया जाए। इस फैसले का उद्देश्य विश्वविद्यालयों में पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना और प्रशासनिक पदों को भारतीय परंपराओं के अनुसार नया रूप देना था। कई विश्वविद्यालयों ने इस आदेश का पालन भी शुरू कर दिया है, लेकिन देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में यह प्रक्रिया अधूरी प्रतीत हो रही है।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा इस आदेश का पूर्ण पालन न करने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि मुख्यमंत्री इस मामले पर क्या कदम उठाते हैं और क्या अन्य विश्वविद्यालयों में भी इसी प्रकार की लापरवाही देखने को मिलती है। इस स्थिति से यह स्पष्ट होगा कि राज्य सरकार के निर्णयों का पालन सुनिश्चित करने के लिए क्या अतिरिक्त कदम उठाए जाएंगे।