Ujjain: विक्रम विश्वविद्यालय प्रगति के नए सोपानों की ओर अग्रसर, दो वर्षों में किया व्यापक विकास

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उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय को प्राप्त बी++ ग्रेड किसी प्रकार से ए ग्रेड से कम नहीं मानी जा सकती है। अकादमिक उपलब्धियों और गतिविधियों के माध्यम से विक्रम विश्वविद्यालय प्रगति के नए सोपानों पर अग्रसर है, जिसका विगत दो वर्षों में व्यापक विकास हुआ है। विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रथमतः क्रियान्वयन के साथ उच्च शिक्षा की नई सम्भावनाओं के द्वार खुले हैं। प्रतिष्ठित शैक्षणिक विशेषज्ञों का मानना है कि नैक मूल्यांकन में पांच वर्ष में किये गए कार्यों का मूल्यांकन होता है, परन्तु कोविड काल के दो शैक्षणिक सत्रों को शून्य मान लिया जाये तो विश्वविद्यालय के पास उपलब्धियों को हासिल करने के लिए तीन शैक्षणिक सत्रों का समय ही प्राप्त हुआ था, जिसका सीधा प्रभाव नैक मूल्यांकन में दिखाई देता है। विपरीत परिस्थितियों के बाद भी विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त किया गया बी प्लस प्लस ग्रेड ए ग्रेड से कम नहीं है।

कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय एवं कुलसचिव डॉ प्रशांत पुराणिक ने बताया कि नैक द्वारा किए गए गुणात्मकता आधारित मूल्यांकन में विश्वविद्यालय का श्रेष्ठ प्रदर्शन रहा है। नैक की ग्रेडिंग पद्धति पहले ए, बी, सी, डी होती थी, जो नई व्यवस्था के अंतर्गत पूरी तरह से बदल गई हैंl बी ++ का आशय किसी भी रूप में पहले प्राप्त किए गए ए ग्रेड से कम नहीं हैं। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में विगत दो वर्षों में सभी सुधीजनों के सहयोग से व्यापक विकास हुआ है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन के साथ दो वर्षों में विक्रम विश्वविद्यालय ने कई बड़ी उपलब्धियाँ हासिल की हैं।

इनमें प्रमुख हैं प्रवेश में व्यापक अभिवृद्धि, नए पाठ्यक्रमों की संख्या में वृद्धि, शिक्षा में नई तकनीक का उपयोग, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में स्टार्टअप्स, पेटेंट्स, शिक्षा और अनुसंधान में नवाचार आदि शामिल हैं। विक्रम विश्वविद्यालय का पुरातत्व एवं उत्खनन विभाग देश के प्रमुख विभागों में से एक है, जिसे पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर जी द्वारा पुरातात्विक उत्खननों के माध्यम से समृद्ध किया गया है। इसमें 472 अतिप्राचीन दुर्लभ प्रतिमाएँ संग्रहीत हैं, संग्रहालय के उन्नयन का प्रयास विश्वविद्यालय द्वारा प्रारंभ किया गया है। माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव जी के अविस्मरणीय प्रयासों से विक्रम कीर्ति मन्दिर पुनः विश्वविद्यालय को प्राप्त हो गया है। माननीय मंत्री जी के निर्देशानुसार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत 12 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से विश्वविद्यालय के पुरातत्व और पुरातन पांडुलिपि संग्रहालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अध्ययन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।

बदलते परिवेश एवं बदलती हुई परिस्थितियों में स्थानीय और अन्तराष्ट्रीय स्तर की ज़रूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रमों का संचालन, उनमें समयानुसार संशोधन तथा विद्यार्थियों द्वारा रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों का चयन बहुत आवश्यक है। वर्तमान मांग, विश्व व्यवस्था तथा नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 लागू की गई है। यह शिक्षा नीति, 21वीं सदी की आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप युवा पीढ़ी का सर्वांगीण विकास कर उनके भविष्य को स्वर्णिम बनाने में सहायक सिद्ध हो रही है। आज पूरा विश्व भारत की ओर नई आशा के साथ देख रहा है। युवा शक्ति के उत्साह, मेहनत और देश प्रेम की भावना से देश निरन्तर प्रगति करेगा और निश्चित रूप से 21वीं सदी भारत की होगी। हम सभी को गर्व है कि मध्यप्रदेश के माननीय उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव की संकल्पना से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मध्यप्रदेश और विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में देश में सर्वप्रथम लागू किया जा चुका है।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव के अथक प्रयास से आज विक्रम विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के हितों के कई कार्य जैसे 250 सीट के छात्रावास का निर्माण, म्यूजियम का उन्नयन आदि प्रमुख हैं। उनके प्रयासों से नवीन एवं नवाचार आधारित पाठ्यक्रम प्रारम्भ करवाए गए हैं, 200 से अधिक नए पाठ्यक्रम पिछले दो वर्षों में विश्वविद्यालय में खुले हैं। वर्तमान में कुलपति प्रो पांडेय के अब तक दो वर्षों के कार्यकाल में विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रमों की कुल संख्या 250 से अधिक हो गई है।

विधि अध्ययनशाला में बीएएलएलबी पाठ्यक्रम को प्रारम्भ करवाने में बार कौंसिल ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पदाधिकारी श्री प्रताप मेहता एवं कार्यपरिषद सदस्य श्री संजय नाहर का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। पर्यावरण संबंधी पाठ्यक्रम एवं गतिविधियों के लिए कार्यपरिषद सदस्य श्री सचिन दवे, उद्योगों के साथ विश्वविद्यालय के अंतःसंबंधों के लिए कार्यपरिषद सदस्य श्री राजेशसिंह कुशवाह, कृषि पाठ्यक्रमों के लिए कार्यपरिषद सदस्य डॉ विनोद यादव, महिलाओं की शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए कार्यपरिषद सदस्य श्रीमती ममता बैंडवाल एवं डॉ कुसुमलता निंगवाल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। समस्त कार्यपरिषद सदस्यों,अधिकारियों, विभागाध्यक्षों, शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों, गणमान्य नागरिकों एवं मीडिया आदि के समवेत सहयोग और प्रयासों से यह विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति कर रहा है।

अभी के दौर में प्रारंभ किए गए प्रमुख रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों में प्रमुख हैं, कृषि विज्ञान, वानिकी, विधि, फोरेंसिक साइंस, खाद्य प्रौद्योगिकी, मत्स्य उत्पादन, जलीय कृषि तकनीकी, दुग्ध तकनीकी, रेशम कीट पालन एवं कीट विज्ञान, सूचना तकनीकी, नेटवर्क सिक्योरिटी, मशीन लर्निंग, वेब तकनीकी, डाटा साइंस, इलेक्ट्रानिक्स, मशरूम उत्पादन, एम.ए. योग, एल. एल. एम., बीए एलएलबी, एम.टेक. जैसे अनेक पाठ्यक्रम प्रारंभ किये जा चुके हैं। साथ ही विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में स्थानीय मालवी भाषा, तकनीकी, कौशल कला एवं कारीगरी का भी समावेश किया गया है।

भारतीय ज्ञान परम्परा पर अध्ययन एवं शोध को बढ़ावा देने हेतु रामचरितमानस में विज्ञान पाठ्यक्रम के साथ संगीत, नाट्य एवं ललित कला जैसे संस्थान प्रारम्भ किए गए हैं, तथा भारत अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई है। शिक्षा में उत्कृष्टता हेतु विश्वविद्यालय द्वारा अनवरत प्रयास किये जा रहे हैं। ऐसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु विद्यार्थियों को बाहर जाना पड़ता था जहाँ खर्च अधिक होने के साथ साथ अनेको अन्य परेशानी होती थीl मंत्री के प्रयास से कई रोजगार मेले के माध्यम सैंकड़ों विद्यार्थियों को रोजगार प्राप्त हुए हैंl आज अन्य प्रदेशों के ही नहीं बल्कि विदेश के 107 विद्यार्थियों ने आवेदन किए हैं और तीन विदेशी विद्यार्थियों का प्रवेश हो गया हैं l अभी तीन एक्सीलेंस सेंटर हेतु 16 करोड़, शिक्षा, विधि एवं क़ृषि विभाग हेतु राशि रु 25 करोड़ के लगभग की घोषणा कर चुके हैं l शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया हेतु निर्देश जारी किए हैंl आज विक्रम विश्वविद्यालय सहित सभी शिक्षा संस्थानों का सौभाग्य हैं की शायद पहली बार उच्च शिक्षा मंत्री उज्जैन से हैं जिनके अथक प्रयास से शिक्षा नीति लागू हुई तथा लगातार उन्नति हो रही हैं l

विश्वविद्यालय द्वारा इन्क्यूवेशन सेंटर की स्थापना की गई है, जहाँ पर विद्यार्थियों को रोजगार स्थापित करने हेतु शासन की विभिन्न योजनाओं की जानकारी तथा परियोजना निर्माण का प्रशिक्षण दिया जाता है। वर्तमान समय में यह स्मार्ट सिटी कार्यालय में संचालित है। विश्वविद्यालय के छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विश्वविद्यालय को मशरुम उत्पादन, रेशम उत्पाद और मत्स्य उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अभी तक विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के सहयोग से 12 से अधिक महत्वपूर्ण उत्पाद विकसित किए गए हैं। 27 से अधिक स्टार्टअप प्रारम्भ किए जा चुके हैं तथा 14 से अधिक पेटेन्ट कराए गए हैं। ये इस बात को प्रमाणित करते हैं कि हमारे विद्यार्थी शिक्षा एवं अनुसंधान में नवाचार के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की ओर अग्रसर हैं।

विश्वविद्यालय द्वारा लैब टू लैंड योजना के तहत मालवा क्षेत्र के किसानों को इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम मॉडल हेतु जागरूक किया जा रहा है, जिससे किसान अनाज उत्पादन के साथ-साथ फल, सब्जी, फूल, मुर्गीपालन, मछली पालन आदि के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि करते हुए दूसरों के लिये रोजगार का सृजन कर सकेंगे। विश्वविद्यालय में पिछले दो वर्षो में प्रवेश में भी पर्याप्त वृद्धि देखी गई है। प्रवेश की संख्या सत्र 2019 – 2020 में विद्यार्थियों की कुल संख्या 2863 थी, जो सत्र 2020 – 2021 में बढ़कर 3245 हुई और 2021-2022 के सत्र में यह संख्या 4564 हो गई। इस वर्ष से विश्वविद्यालय ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा किए जा रहे कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के माध्यम से भी प्रवेश देना प्रारम्भ किया है, जिसमें लगभग 280000 से अधिक छात्रों ने विक्रम विश्वविद्यालय को अपने चयन में प्राथमिकता दी है। आने वाले दौर में सीधे दूरस्थ शिक्षा प्रारंभ करवाने में भी विश्वविद्यालय को कोई समस्या नहीं होगी, मात्र निरीक्षण करवाने के बाद इसे प्रारंभ करवाया जा सकेगा।

गत दो वर्षों में विश्वविद्यालय द्वारा 53 से अधिक उत्कृष्ट संस्थानों से द्विपक्षीय समझौता (एमओयू) किया गया है, जिनमें शेरा लाईफ साइंस मेलबोर्न, आस्ट्रेलिया, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई, भारतीय कंपनी सचिव संस्थान, नई दिल्ली, भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इन्दौर, उष्णकटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान, जबलपुर, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल, विवेकानन्द वैश्विक विश्वविद्यालय, जयपुर, मध्यांचल व्यावसायिक विश्वविद्यालय, भोपाल, मानसरोवर विश्वविद्यालय, सीहोर आदि प्रमुख हैं। इन संस्थानों से हमारे विश्वविद्यालय के विद्यार्थी एवं शिक्षक ज्ञान एवं तकनीकी का आदान प्रदान तथा प्रयोगशालाओं में कार्य करते हुए लाभान्वित होंगे।
छात्रों के उज्ज्वल भविष्य को ध्यान में रखते हुए विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा समय समय पर करियर मार्गदर्शन शिविर एवं मेगा जॉब फेयर का आयोजन किया गया है, जिसमें लगभग 3000 से अधिक छात्र लाभान्वित हैं। पर्यावरण के संरक्षण हेतु विश्वविद्यालय परिसर में 5000 से अधिक पौधों का रोपण किया गया एवं सुव्यवस्थित तरीके से पेडों की बार कोडिंग की गई।

विक्रम विश्वविद्यालय नैक द्वारा ए ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय था, परन्तु यू. जी. सी. नैक मूल्यांकन हेतु निर्धारित की गई नवीन गाइडलाइन के कारण वर्त्तमान में विश्वविद्यालय को बी++ ग्रेड प्रदान किया गया है। नैक की ग्रेडिंग पद्धति पहले ए, बी, सी, डी होती थी जो नई व्यवस्था के पूरी तरह से बदल गई हैं l बी ++ का आशय किसी भी रूप में ए ग्रेड से कम नहीं हैं। वर्त्तमान समय में मध्य प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालयों का यू जी सी के नैक मूल्यांकन का नवीन मापदंड के अनुसार मूल्यांकन कराया जाना शेष है, नवीन मापदंड के अनुसार विक्रम विश्वविद्यालय को प्राप्त हुआ बी ++ का स्तर भी कम नहीं माना जा सकता है। फिर भी विक्रम विश्वविद्यालय प्रशासन नैक मूल्यांकन से प्राप्त हुए ग्रेड से सन्तुष्ट नहीं है तथा वह निर्धारित समय सीमा में यू जी सी में अपील करने जा रहा है। सर्वविदित है कि नैक मूल्यांकन में शैक्षणिक अनुसन्धान, इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों के द्वारा लिखित शोध पत्र एवं पुस्तकों आदि का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

विश्व में व्याप्त कोविड-19 महामारी से विक्रम विश्वविद्यालय भी अछूता नहीं रहा है, विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षकों, अधिकारी एवं कर्मचारियों की अकस्मात मृत्यु भी हुई है। वही दूसरी और महामारी के दौरान अनुसन्धान कार्य तथा शोध पत्रों एवं पुस्तकों आदि की रचना एवं प्रकाशन भी प्रभावित हुआ है। अतः यदि देखा जाये तो विश्वविद्यालय ने पिछले दो वर्षों में अनेक संगोष्ठियां, विशिष्ट व्याख्यान, सामाजिक एवं सामुदायिक कार्य, अध्ययन एवं अनुसन्धान, शोधपत्रों एवं पुस्तकों, समय पर परिणाम की घोषणा तथा मात्र दो वर्षो में ही तीन दीक्षांत समारोह का आयोजन करते हुए अकादमिक एवं अनुसन्धान में गुणवत्तापूर्वक कार्य करने का प्रयास किया है।

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विश्वविद्यालय द्वारा पिछले दो वर्ष में विभिन्न रोजगार मेलों, विद्यार्थियों से संवाद, करियर मार्गदर्शन शिविर, सी यू ई टी द्वारा प्रवेश आदि महत्त्वपूर्ण कार्य करते हुए विश्वविद्यालय ने प्रवेशित विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि की है।