सावन के महीने में 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक बाबा महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ गया है। सावन के तीसरे सोमवार को तड़के सुबह 3 बजे भगवान महाकालेश्वर का दूध-दही से अभिषेक किया गया। इसके बाद विधि-विधान से पंडे-पुजारियों ने महाकाल की भस्मारती की। अपने आराध्य के दर्शन को देर रात से ही देश और दुनिया से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था।जो की सुबह होते होते बड़े जनसैलाब में परिवर्तित हो गया।
श्रावण के तीसरे सोमवार पर महाकाल भक्तों की ऐसी संख्या पहले कभी नहीं देखी गई। सुबह से ही मंदिर क्षेत्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे थे। यह सिलसिला दिनभर ऐसा ही चलने की उम्मीद के बीच बैरिकेड्स में करीब 50 हजार श्रद्धालुओं की मौजूदगी थी। आम तौर पर श्रावण मास भगवान महाकाल के दर्शन के लिए हमेशा ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। देशभर से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचतेे हैं। पर इस बार भगवान महाकाल के भक्त इतनी अधिक संख्या में उमड़ेंगे हैं कि देखने वालों के मुंह से एक ही शब्द निकल रहा था कि जय श्री महाकाल… हर हर महादेव… चारों ओर सिर्फ बाबा का ही नाम गूंज रहा था।
सावन मास में तीसरे सोमवार को भीड़ बढ़ जाने के कारण बताए जा रहे हैं। एक तो श्रावण सोमवार की यह तीसरी सवारी है, तो वही दूसरा नाग पंचमी का त्यौहार भी है और महाकालेश्वर मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन साल में सिर्फ एक ही बार होते है। साल में सिर्फ एक ही बार नागचंद्रेश्वर भगवान के पट खुलते है। ऐसे में भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालु एक दिन पहले ही आते है। जिसके चलते भी भीड़ बहुत ज़्यादा देखी गई।
महाकालेश्वर मंदिर में सभा मंडप में पालकी पर विराजित होने के पूर्व भगवान चंद्रमौलेश्वर का विधि विधान से पूजन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सपत्नीक किया। बाबा महाकालेश्वर मंदिर में सभा मंडप में बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे। बाबा का पूजन अर्जन करने के बाद मुख्यमंत्री सपत्नीक पैदल सवारी में चले। इस दौरान डॉ मोहन यादव, महापौर मुकेश टटवाल सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
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इस बार बाबा महाकाल की सवारी में दर्शनार्थियों की इतनी ज्यादा भीड़ रही कि रिकॉर्ड टूट गया। रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन करने बड़ी संख्या में पहुंचे। इस दौरान एक ही टावर पर सर्वाधिक लोड होने की वजह से मोबाइल नेटवर्क भी जाम हो गया, मोबाइल नेटवर्क के प्रभावित होने की वजह से भी कई लोगों को समस्या सामना करना पड़ा।
अनुमान भी था कि कोविड का दो वर्ष का प्रतिबंध खत्म होने के बाद इस बार श्रावण मास में उज्जैन आने वाले भक्तों की संख्या अधिक रहेगी। श्रावण के पहले दो सोमवार को जिस तरह से श्रद्धालुओं का आगमन हुआ था उसके बाद प्रशासन ने मान लिया था कि आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना अधिक रहेगी। श्रावण के तीसरे सोमवार पर प्रशासन का यह अनुमान भक्तों की संख्या के आगे बहुत ही छोटा नजर आया। मंदिर में प्रवेश के लिए बने जिग्जेग में तो मानो पैर रखने की जगह नहीं हैं। दूर से केवल सिर ही सिर नजर आ रहे थे। भक्तों के इस समूह को देखकर एक ही बात मन में आ रही थी कि यदि समूह पर कुछ उछाला जाए तो वह जमीन पर तो नहीं गिरेगा।
बहरहाल बात तीसरे सोमवार की करें तो महाकाल वन क्षेत्र में श्रद्धालुओं के आने का क्रम भगवान महाकाल की भस्म आरती के पूर्व ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला प्रारंभ हो गया था। श्रद्धालुओं को नृसिंहघाट क्षेत्र से प्रवेश दिया जा रहा था। एक लंबा सफर तय करने के बाद श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल के झलक मिल रही थी। अनुमान के अनुसार दोपहर 12 बजे तक करीब 84 हजार श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन कर चुके हैं।