इंदौर। भोपाल गैस त्रासदी का कारण बनी यूनियन कार्बाइड फैक्टरी का विषैला कचरा अब इंदौर के पास पीथमपुर में जलाने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 126 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। 16 साल पहले, लगभग दस टन जहरीला कचरा पीथमपुर के पास तारापुर गांव में दफनाया गया था, जिसके कारण गांव के बोरवेल का पानी दूषित हो चुका है।
अब फिर 337 टन कचरे के निपटान के लिए रामकी कंपनी को जिम्मेदारी दी गई है। पीथमपुर में हुई बैठक के दौरान जनप्रतिनिधियों ने अफसरों के सामने जोरदार विरोध जताया और कहा कि पहले दस टन कचरे की वजह से गांव के लोगों की स्थिति खराब हो चुकी है। यदि 300 टन से अधिक कचरा यहां लाया जाता है, तो इसका सीधा असर पीथमपुर के औद्योगिक विकास पर पड़ेगा।
धार की सांसद और विधायक ने पीथमपुर में कचरे के निपटान का विरोध किया
धार की सांसद और महिला एवं बाल विकास मंत्री सावित्री ठाकुर पीथमपुर में कचरे के निपटान के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि 126 करोड़ रुपये में एक सुनसान इलाके में नई फैक्टरी बनाकर कचरे का निपटान किया जा सकता है। वहीं, धार की विधायक नीना वर्मा भी पीथमपुर में कचरा जलाने का लगातार विरोध कर रही हैं। उनका कहना है कि कचरा संयंत्र के पास आबादी वाला क्षेत्र स्थित है।
नदी का पानी काले रंग में तब्दील
तारापुर गांव से निकलने वाली बरसाती नदी का पानी दफन किए गए विषैले कचरे के कारण काला हो गया है, जिससे ग्रामीण अब इस पानी का उपयोग नहीं करते हैं। यह नदी इंदौर के पास स्थित यशवंत सागर तालाब से मिलती है, और तालाब का पानी इंदौर नगर निगम पेयजल के रूप में उपयोग करता है।