इंदौर नगर निगम ने मृत पशुओं के निपटान की पारंपरिक प्रणाली को बदलते हुए अब उनके सम्मानजनक अंतिम संस्कार की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है। अब तक मृत जानवरों को गड्ढों में दफनाया जाता था, जिससे दुर्गंध फैलने के साथ-साथ भूजल प्रदूषण जैसी समस्याएं भी सामने आती थीं। इन पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को देखते हुए नगर निगम ने इस प्रक्रिया को आधुनिक और व्यवस्थित रूप देने का निर्णय लिया है।
इस योजना के तहत हरियाणा की माइक्रोटेक कंपनी को अंतिम संस्कार प्लांट के निर्माण, संचालन और रखरखाव की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। निगम ने इस कंपनी से पांच वर्षों का अनुबंध किया है, और परियोजना पर लगभग 3 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

नगर निगम ने समाधान के विकल्प तलाशने के लिए निजी कंपनियों से प्रस्ताव आमंत्रित किए थे। कुल पांच कंपनियों ने इसमें रुचि दिखाई, जिनमें गहन मूल्यांकन के बाद माइक्रोटेक का चयन किया गया। यह पहल न केवल स्वच्छता और पर्यावरण-संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, बल्कि यह पशुओं के प्रति मानवीय सोच को भी दर्शाती है।
भोपाल-ग्वालियर में पहले से हो रहा है सफल संचालन
भोपाल और ग्वालियर जैसे शहरों में पहले से ही एनिमल इंसीनरेटर की सुविधा सक्रिय है। भोपाल में लगभग 5 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक इंसीनरेटर स्थापित किया गया है, जो रोजाना 35 से 40 मृत पशुओं का अंतिम संस्कार करने में सक्षम है। इस संयंत्र की प्रति घंटे क्षमता 300 किलो है, और पूरे दिन में यह लगभग 4 टन शवों का निस्तारण कर सकता है। इसमें डबल स्क्रबर तकनीक का उपयोग किया गया है, जो उत्सर्जित धुएं को ठंडा कर उसमें मौजूद हानिकारक तत्वों को प्रभावी ढंग से फ़िल्टर करती है।
वहीं, ग्वालियर के केदारपुरा क्षेत्र में भी दो इंसीनरेटर प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं, जिनकी कुल लागत 7 से 8 करोड़ रुपये के बीच है। इन संयंत्रों की मदद से वहां भी भूमि और भूजल प्रदूषण को नियंत्रित करने में सफलता मिल रही है।
देश के कई अन्य शहरों में भी मौजूद है यह सुविधा
दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में मृत पशुओं के अंतिम संस्कार की व्यवस्था पहले से ही प्रभावी रूप से चल रही है। दिल्ली, आगरा और कोटा जैसे शहरों में यह प्रणाली सफलतापूर्वक कार्यान्वित हो रही है। विशेष रूप से आगरा में अंतिम संस्कार के बाद पशु अस्थियों को परिजनों को विसर्जन के लिए सौंपा जाता है। यह प्रबंध न केवल धार्मिक भावनाओं का सम्मान करता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। अब इंदौर भी इस आधुनिक सुविधा को अपनाकर एक नई मिसाल स्थापित करेगा।