एसएफ़एसी (Small Farmers Agribusiness Consortium)भारत सरकार के कृषि मंत्रालय का एक उपक्रम है, जो सहकारी अधिनियम मे पंजीकृत है। इसके प्रबंध निदेशक (एमडी) जो इस संस्था के प्रमुख है आम तौत पर कोई आईएएस अधिकारी होता है जिसको अतिरिक्त प्रभार के रूप मे एसएफ़एसी का भी प्रभार दे दिया जाता है। एक साथ कई विभागो का प्रभार संभालने के चक्कर मे एसएफ़एसी के कार्यों की तरफ एमडी का ज्यादा ध्यान देना मुश्किल है, और जब ध्यान और ज्ञान अधूरा हो, तो कार्य भी अधूरा रहेगा।
एसएफ़एसी की बात करें तो इस संस्था को केंद्र सरकार के 10000 एफ़पीओ योजना के केन्द्रीय कार्यान्वयन संस्था के रूप मे नामांकित है, और ज़िम्मेदारी दिया गया है। एसएफ़एसी की ज़िम्मेदारी थी की एक NPMA (राष्ट्रिय परियोजना प्रबंधन संस्थान) का चुनाव करना, और फिर उसके बाद 10000 एफ़पीओ योजना के विभिन्न घटको के कार्य एनपीएमए से करवाना। खेद की बात है की एनपीएमए को दिये गए जिम्मेदारियों मे से एक ज़िम्मेदारी भी इसने पूरा नहीं किया। वर्ष 2021 मे योजना प्रारम्भ होने से पहले…
• पूरे परियोजना का एक डीपीआर बनाया जाना था, जो आज तक नहीं बना.
• एफ़पीओ के लिए एक समेकित वेब पोर्टल बनाया जाना था, जो आज तक नहीं बना.
• सारे एफ़पीओ के लिए उनके क्षेत्र के अनुसार कार्य योजना बनाई जानी थी, जो आज तक नहीं बनी.
• सभी फसलों के लिए मूल्य शृंखला विकास प्रक्रिया बनानी थी, जो आज तक नहीं बनी.
• बैंक के अधिकारी वर्ग को एफ़पीओ के प्रति संवेनदानशील बनाए जाने का ट्रेनिंग देना था जो नहीं हुआ.
दिनांक 15-05-2024 को नई दिल्ली मे एफ़पीओ के वित्तीय जरूरतों से संबन्धित एक संघोष्टि हुई, जिसमे एफ़पीओ के लिए आगे की रणनीति तय करना उद्देश्य था। इस संघोष्टि के पश्चयात एक रिपोर्ट प्रसारित किया गया था जिसमे आगे की रन नीति का विवरण था।
कमाल की बात तो यह है की आगे की रणनीति के सुझाव लगभग वही है, जो कार्य अभी तक एसएफ़एसी और एनपीएमए को कर लेना चाहिए था। इसमे से अधिकतर कार्य के लिए एनपीएमए के साथ अनुबंध हुआ है, और ये मार्च 2024 से पहले पूरे हो जाने थे। इस कार्य के लिए एनपीएमए को मार्च तक रु12.30 करोड़ का भुगतान भी किया जा चुका है।
आश्चर्य की बात है की प्रबंध निदेशक एसएफ़एसी, कृषि विभाग और नाबार्ड को यह नहीं मालूम की 10000 एफ़पीओ योजना मे अभी तक क्या कार्य हो जाने चाहिए थे।
क्या प्रबंध निदेशक एसएफ़एसी, नाबार्ड, कृषि विभाग के उच्च अधिकारी को एफ़पीओ के कार्य के प्रति संवेदनशील बनाया जाना आवश्यक नहीं है? इन बड़े अधिकारियों की संवेदनहीनता और अहंकार ही देश के कृषि क्षेत्र के लिए मुसीबत है।