आज शनिवार, माघ कृष्ण पक्ष चतुर्थी/पञ्चमी तिथि है। आज पूर्वा/उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है।
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
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-विधिपूर्वक ठीक संख्या तक का जप मन्त्र – जागरण कर देता है।
-इसके बाद जप स्वत: चलने लगता है।
-स्तुति भी एक प्रकार का जप है।
-देवी – देवताओं के प्रत्येक मन्त्र में एक कम्पनात्मक शक्ति है।
-मन्त्र, जप, स्तोत्र, देव – पूजन – यह सब दो प्रकार से होते हैं। एक विधानात्मक और दूसरा भावनात्मक।
-सकाम जप, पूजा आदि विधि पूर्वक होने पर ही फल देते हैं। विधि भङ्ग होने पर फल नहीं मिलता है।
-निष्काम भाव से किए गए जप, मन्त्र, स्तोत्र, देव पूजन सर्वश्रेष्ठ हैं।
-तीर्थ श्राद्ध में ब्राह्मण परीक्षण नहीं करना चाहिए।
-जिसका पिता जीवित हो, वह भी तीर्थ श्राद्ध कर सकता है। पिता को छोड़कर पूर्वजों का श्राद्ध करना चाहिए।
-पिता के गोत्र में 24, मातृ गोत्र में 20, पत्नी के गोत्र में 16, बहन के गोत्र में 12, पुत्री के गोत्र में 11, बुआ के गोत्र में 10 तथा मौसी के गोत्र में 8 – यह सात प्रकार के गोत्रों के 101 पितृ होते हैं।
-तीर्थ स्थान पर उक्त सात प्रकार के गोत्रों के प्रति श्राद्ध किए जाते हैं।
-श्राद्ध करने योग्य तीर्थ स्थानों की विस्तृत सूची मत्स्य पुराण के 22 वें, ब्रह्मपुराण के 93 वें, पद्मपुराण उत्तराखण्ड के 175 व 181 वें अध्याय में है।
-जिस तीर्थ में श्राद्ध किया जाता है, उस तीर्थ में श्राद्ध विधि पूर्ण होने के बाद तीर्थ श्लोक का पाठ करना चाहिए।
विक्रम संवत् 2078, शक संवत् 1943
-माघ कृष्ण पक्ष चतुर्थी प्रातः 07:42 बजे तक, पश्चात पञ्चमी तिथि
-इन्दौर का सूर्योदय : प्रातः 07:12 बजे
-इन्दौर का सूर्यास्त : सायं 06:06 बजे
-अयन : उत्तरायन
-ऋतु : शिशिर
-नक्षत्र : पूर्वा फाल्गुनी प्रातः 09:40 बजे तक, पश्चात उत्तरा फाल्गुनी
-योग : शोभन मध्याह्न 12:00 बजे तक, पश्चात अतिगण्ड योग
-राहुकाल : स्थानीय समयानुसार प्रातः 09:00 से 10:30 बजे तक
-दिशाशूल – पूर्व दिशा में
कल रविवार 23 जनवरी 2022 के व्रत – पर्व – उत्सव
-कल रविवार को प्रातः सर्वार्थ सिद्धि अमृत योग है।
विजय अड़ीचवाल
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