Tithi : आज है मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा तिथि, रखें इन बातों का ध्यान

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आज रविवार, मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा तिथि है। आज मृगशिरा नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है।
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)

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-आज स्नान – दान की पूर्णिमा है।
-आज मॉं अन्नपूर्णा एवं देवी षोडशी प्रकट हुई थीं।
-आज के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने रासलीला की थी।
-आज के दिन बलराम (दाऊजी) का पाटोत्सव मनाया जाता है।
-ब्रज में दाऊजी को राजा और जाग्रत देव माना जाता है।
-मृत्यु होने की तिथि के बाद पुत्र को एक वर्ष तक आत्मा के प्रति उत्तम षोडशी के विविध श्राद्ध करना चाहिए।
-गरुड़ पुराण सारोद्धार 13/99 के अनुसार – मृत्यु तिथि से ठीक 20 वें दिन ऊनमासिक ( पाक्षिक) श्राद्ध करना चाहिए।
-प्रथम मास मृत्यु तिथि पर।
-फिर मृत्यु तिथि से 45 वें दिन श्राद्ध करना चाहिए। जिसे त्रैपाक्षिक श्राद्ध कहते हैं।
-मृत्यु तिथि से दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें महीने मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए।
-मृत्यु तिथि से साढ़े 5 महीने पर उसी तिथि को ऊनषाण्मासिक ( छह माही) श्राद्ध करना चाहिए।
-मृत्यु तिथि से 6 माह, 7 माह, 8 माह, 9 माह, 10 माह, 11 वें महीने मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए।
-मृत्यु तिथि से साढ़े 11 महीने पर उसी तिथि को ऊनाब्दिक ( बरसी) का श्राद्ध विधि – विधान से करना चाहिए।
-बारहवें मास के पूर्ण होने पर वार्षिक मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए।
-मृत्यु तिथि से दूसरा वर्ष पूर्ण होने के बाद एकोद्दिष्ट श्राद्ध करना चाहिए तथा इसके बाद पितृपक्ष में मृत्यु तिथि के दिन पार्वण श्राद्ध ( श्राद्ध में मिलाना) करना चाहिए।
-श्राद्ध चिन्तामणि में यम का स्पष्ट वचन है कि – एकोद्दिष्ट श्राद्ध किए बिना जो व्यक्ति पार्वण श्राद्ध ( श्राद्ध में मिलाना) करता है, उसका किया हुआ कार्य नहीं किया हुआ माना जाएगा और वह माता-पिता का घातक कहा गया है।

विजय अड़ीचवाल