इंदौर। भगवान हनुमान जी के कई स्वरूप है, कहा जाता है कि भगवान का पूर्ण शक्ति संपन्न स्वरूप दो ही समय पर देखने को मिला है, जब वह लंका में कूदने के लिए लिए समुद्र तट पर खड़े थे, वहीं बाल अवस्था में हठ करते हुए जब भगवान सूर्यनारायण को मुख में लिया था।भगवान हठीले हनुमान जी का यह मंदिर शहर में जूनी इंदौर बड़ा रावला पर स्थित है।
मुगल शासन के दौरान कैसे हिंदू धर्म अपने और अपने संस्कारों का रक्षण करे, इसके लिए आज से करीब 550 वर्ष पहले स्वामी रामदास समर्थ जी ने देश के कई क्षेत्रों में हनुमान जी की प्रतिष्ठा कर हनुमान जी की स्थापना की थी। इसी के साथ भगवा संगठन में व्यायाम शालाएं, अखाड़े की शुरुआत की। इसी क्रम में स्वामी रामदास समर्थ जी ने यहां आकर हठीले हनुमान जी की स्थापना की।
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दो बार हनुमान जी चौला छोड़ चुके, इतना सिंदूर चढ़ गया
पंडित विनय शास्त्री जी बताते हैं, वह बाल्य अवस्था से मंदिर में सेवा दे रहे हैं, वह बताते हैं कि बड़ा रावला स्थित ईशान्य मुखी हनुमान जी का यह मंदिर हठीले हनुमान मंदिर से प्रसिद्ध है, हनुमान जी के ऊपर इतना चौला चढ़ चुका है, की नेत्र अंदर दिखाई देते हैं, वहीं हनुमान जी अभी तक दो बार चौला छोड़ चुके हैं। वह बताते हैं कि इसी रूप के दर्शन इस मंदिर में दिखाई देते हैं।
मंदिर में जलने वाला दीपक अखंड है, कभी नहीं बुझता
मंदिर का निर्माण नदी के श्री घाट पर किया गया है, अब इसने नाले का रूप ले लिया है, मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बरसात के समय में यह पूरा मंदिर पानी से लबालब हो जाता है, लेकिन पानी गुम्बच को छू नहीं पाता है। मंदिर में जलने वाला दीपक अखंड है, इसे मंदिर की दीवार पर रखते है, जिसकी ज्यादा ऊंचाई नहीं है, कितना भी पानी भर जाए यह दीपक पानी उतरने के बाद प्रज्वलित मिलता है। वहीं पानी के भराव से मंदिर की सभी जगह पर गाद मिलती है, लेकिन मंदिर के अंदर गाद नही जाती, इसी के साथ मंदिर में अमर कुईया है, यह कभी नहीं सूखती यह हमेशा भरी हो रहती है।
शहर के बड़े विद्वान पंडित आते है, पूजा पाठ करने
पुजारी जी बताते हैं, कि मेरा अयोध्या, काशी सबकुछ यही है। यहां पर शहर के सो से ज्यादा ब्राह्मण भगवान की सेवा में नित्य स्तुति सेवा पाठ करने आते हैं। सालभर प्राण प्रतिष्ठा, अखंड रामायण, और अन्य धार्मिक प्रोग्राम मंदिर में होते हैं, मंदिर में शहर और बाहर के कई लोग अपनी मन्नते लेकर आते है, और सरकार उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
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