खेती-किसानी के बदलते दौर में अब किसान भी पारंपरिक फसलों से हटकर ऐसी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं, जिनमें कम लागत, कम मेहनत और कम पानी की जरूरत हो, लेकिन मुनाफा भरपूर हो।
ऐसी ही एक फसल है बाजरा, और उसमें भी खासतौर पर ‘पूसा-443’ किस्म, जिसे आजकल पैसे छापने की मशीन कहा जा रहा है। इसकी डिमांड बाजार में तेजी से बढ़ रही है और किसान इसे अपनाकर लाखों की कमाई कर रहे हैं।

पूसा-443: बाजरे की उन्नत किस्म जो कम संसाधनों में दे रही है बंपर उत्पादन
‘पूसा-443’ बाजरे की एक विशेष और उन्नत किस्म है, जिसे खासतौर पर कम सिंचाई, उच्च तापमान और कठिन परिस्थितियों में बेहतर उपज देने के लिए विकसित किया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किस्म डाउनी मिल्ड्यू और ब्लास्ट जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधक है, जिससे फसल को बीमारियों से नुकसान नहीं होता। यह किसानों के लिए एक सुरक्षित और लाभदायक विकल्प बन चुका है।
कैसे करें पूसा-443 की खेती?
इस किस्म की खेती करने के लिए खेत की गहरी जुताई जरूरी होती है। इसके बाद मिट्टी में गोबर की सड़ी हुई खाद मिलाना चाहिए ताकि मिट्टी की उर्वरता बढ़ सके। पूसा-443 की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 6 से 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
इसकी खेती में रासायनिक खादों के बजाय जैविक खादों का इस्तेमाल करना अधिक लाभदायक होता है। एक बार बुवाई हो जाए तो इस फसल को ज्यादा देखरेख की जरूरत नहीं होती और लगभग 85 दिनों में यह पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है।
30 क्विंटल तक उत्पादन, कमाई लाखों में
‘पूसा-443’ किस्म की सबसे खास बात यह है कि यह उच्च उपज देने वाली किस्म है। यदि आप एक हेक्टेयर में इसकी खेती करते हैं तो आपको करीब 30 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है। बाजार में बाजरे की मांग बनी रहती है, इसलिए इसकी बिक्री भी आसान है। सही दाम मिलने पर किसान लाखों रुपये की कमाई बड़ी ही आसानी से कर सकते हैं।