भगवान का सर्वव्यापक स्वरूप दर्शाता है श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का दसवां अध्याय

भगवद्गीता के दसवें अध्याय में “विभूतियोग” का संदेश है, जिसमें महत्वपूर्ण ज्ञान और उपदेश हैं। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को अपनी दिव्य विभूतियों और महात्म्य का प्रकटन करते हैं, और यह दिखाते हैं कि उनका सम्पूर्ण जगत् में व्यापक रूप से व्यक्तित्व है।

भगवान की महत्ता: इस अध्याय में भगवान की दिव्य विभूतियों का वर्णन किया गया है, जिससे वह अपने अद्भुत महात्म्य को प्रकट करते हैं।

विश्वास का महत्व: अर्जुन को विश्वास रखने की महत्वपूर्ण बातें सिखाई गई हैं, और यह दिखाया गया है कि भगवान के प्रति विश्वास से ही मोक्ष प्राप्त होता है।

भगवान का सर्वव्यापक स्वरूप दर्शाता है श्रीमद्‍भगवद्‍गीता का दसवां अध्याय

भगवान का सर्वव्यापक स्वरूप: इस अध्याय में भगवान का सर्वव्यापक और समग्र रूप दिखाया गया है, जो सभी प्राणियों में होता है।

भगवान के भक्तों का उद्धारण: इस अध्याय में भगवान के भक्तों का महत्व और उनके उद्धारण के उदाहरण दिए गए हैं।

भगवान के प्रति प्रेम: इस अध्याय में भगवान के प्रति भक्ति और प्रेम का महत्वपूर्ण संदेश है, जिससे आत्मा को मुक्ति प्राप्त होती है।

इस अध्याय का मुख्य संदेश है कि भगवान के प्रति विश्वास और प्रेम के माध्यम से ही मनुष्य अपने आत्मा को परमात्मा के साथ मिला सकता है और मोक्ष प्राप्त कर सकता है। यह अध्याय भगवान की महिमा और भक्ति के महत्व को प्रमोट करता है।