इंदौर: मेरा मानना है कि सिर्फ़ इन्वेस्टिगेशन में पेशेंट का इतना खर्च हो जाता है, कि उसके पास ट्रीटमेंट के पैसे खत्म हो जाते है। महंगी जांच के कारण पेशेंट इन्वेस्टिगेट नहीं हो पाते और बीमारी आगे बढ़ जाती हैं। मेरा शुरू से सपना था कि हम चेकअप लैब में एक ऐसा मॉडल शहर में तैयार करे जिसमें क्वॉलिटी के साथ दरें भी पॉकेट फ्रेंडली हो, कई चैरिटेबल लैब है लेकिन क्वालिटी नहीं है, वहीं जहां क्वॉलिटी है वह काफी महंगी है, मैंने इन दोनों के बीच एक ब्रिज बनाने का प्रयास अपनी लैब के माध्यम से किया है। यह प्रदेश की प्रतिष्ठित सेंट्रल लैब की चेयरमैन डॉक्टर विनीता कोठारी ने कही उन्होंने बताया कि सेंट्रल लैब की शुरुआत 2011 में यशवंत प्लाजा पर की थी, पहले दिन से ही हमने पेशेंट को 70 प्रतिशत का डिस्काउंट दिया। यह एक अत्याधुनिक लैब है इस तरह की फैसिलिटी प्रदेश के आईआईएम और सेन्ट्रल लैब में ही है।
एमपी में एम्स और सेंट्रल लैब 2 ही बायो सेफ्टी लेवल 3 लैब
पूरे एमपी में एम्स और सेंट्रल लैब ही ऐसी दो लैब है जो बायोसेफ्टी लेवल 3 लैब है। बायो सेफ्टी लेवल 3 लैब की खासियत यह होती है कि कोई भी वायरस जब एग्रेसिव पोजिशन में होता है, तो दूसरी लैब में टेस्ट करने पर बैक्टीरिया वातावरण में फैल सकता है, इस लैब में टेस्टिंग पर वायरस की टेस्टिंग सिक्योर रहती हैं। कई बार जो शहर के बड़े हॉस्पिटल में टेस्ट नहीं होते हैं, वह सेंट्रल लैब में किए जाते हैं।
ऑटो इम्यूनिटी डिटेल प्रोफाइल टेस्ट, एलर्जी डिटेल प्रोफाइल और भी कई टेस्ट किए जाते है
जब में पहले दूसरे अस्पताल में थी तब बड़े टेस्ट के लिए दूसरे शहरों में टेस्टिंग के लिए सैंपल भेजते थे, जिससे रिपोर्ट मिसमैच या अन्य समस्या होती थी, इसी को ध्यान में रखते हुए सेंट्रल लैब में कई प्रकार के टेस्ट किए जाते है, जो शहर में नहीं हो पाते हैं या बहुत कम जगह होते हैं, जिसमें पेशेंट को आईसीयू में रखने के दौरान लगभग 30 प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं, ऑटो इम्यूनिटी डिटेल प्रोफाइल टेस्ट, एलर्जी डिटेल प्रोफाइल, इसी के साथ रूटीन टेस्ट, लिपिड प्रोफाइल, किडनी प्रोफाइल, हार्मोंस, थायरॉयड, प्रेगनेंसी के दौरान मेटरनल स्क्रीनिंग टेस्ट, इम्यूनो हिस्टो केमिस्ट्री, वायरस टेस्टिंग, थेलेसिमिया टेस्ट, प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस, हाल ही में सरकार को 22 हजार लोगों में सिकल सेल एनीमिया टेस्ट की रिपोर्ट सौंपी थी।
शहर में 3 रेडियोलॉजी सेंटर बॉडी स्कैन के नाम से है संचालित
डॉक्टर विनीता कोठारी बताती है, कि शहर में कम रेट में रेडियोलॉजी से संबंधित चेकअप के लिए बॉडी स्कैन के तीन सेंटर निपानिया, यशवंत प्लाजा और गीता भवन चौराहे पर है, जहां पर सीटी स्कैन, एमआरआई, सोनोग्राफी, इकोकार्डियोग्राफी, और अन्य प्रकार की जांच की जाती है, इन सेंटर पर पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी से संबंधित जांच की जाती है। इसी के साथ शहर में ब्लड कलेक्शन के 60 से ज्यादा सेंटर है जहां से ब्लड कलेक्ट कर मैन लैब में लाकर जांच की जाती हैं।
आईआईटी मुंबई ने की थी स्टडी लैब के बारे में
H 1,N1 स्वाइन फ्लू के दौरान प्रदेश में सेंट्रल लैब एक मात्र लैब थी, जो पूरी तरह से इक्विपड रूप से तैयार थी, आईआईटी मुंबई के स्टुडेंट्स ने 2013 में इस लैब पर स्टडी कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें उन्होंने पाया था कि एक व्यक्ति शहर की लैब में जांच के दौरान 961 रुपए खर्च करता है, और वही जांच सेंट्रल लैब में 271 रुपए में होती है। इसके बाद वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने इसकी सराहना की थी। वहीं देश के मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम आजाद ने भी इसकी सराहना की थी।
देश और विदेश के कई हॉस्पिटल में सेवाएं दी है डॉक्टर विनीता कोठारी ने
डॉक्टर विनिता कोठारी ने अपनी एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर से 1991 में पूरी की थी, इसके बाद पैथोलॉजी में एक्स्ट्रा ट्रेनिंग के लिए मुंबई चली गई थी। वहां जेजे अस्पताल मुंबई में सिनियर रजिस्ट्रार बनने के बाद शाइन हॉस्पिटल मुंबई में लेक्चरर के रूप में अपनी सेवाएं दी। इसके बाद फेलोशिप प्रोग्राम के लिए यूके चली गई, वहां पर ब्रेस्ट फीमेल कैंसर पर ट्रेनिंग की, वहीं मुंबई के आईसीएमआर में ब्लड से संबंधित ट्रेनिंग पूरी की। जब एक लेक्चर समरोह में ट्रस्टी मिले तो उन्होंने कहा आपने जो सीखा है, वह इंदौर में नही है, आप वहां अपनी सेवाएं दीजिए, इसके बाद सीएचएल अपोलो की हेड के रूप में कार्य किया, इसके बाद से सेन्ट्रल लैब में अपनी सेवाएं दे रही हूं।
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इंदौर हेल्थ रिपोर्ट प्रस्तुत की है सेंट्रल लैब ने
कोविड के दौरान कई लोग बीमार रहे और कई की जान चली गई, इसके बाद हार्ट अटैक और अन्य बीमारियां देखने को मिली इसे जानने के लिए पीछले साल लगभग 1 लाख लोगों की जांच सेंट्रल लैब में हुई थी, यह वर्ल्ड का सबसे बड़ा आंकड़ा है, जिसमें 1,200 की जांच मात्र 100 रुपए में की गई थी, इसमें हार्ट के लिए कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, किडनी में क्रिएटिनिन और जीएफआर, एसजीपीटी और अन्य प्रकार की 8 तरह की जांच की गई थी। जिसमें 9.1 लोगों का शुगर, 17 प्रतिशत लोगों का कोलेस्ट्रॉल, 4 प्रतिशत लोगों का क्रिएटिनिन, 6 प्रतिशत लोगों का लीवर एंजाइम, 13 प्रतिशत लोगों में प्रोटीन की कमी थी। यह रिपोर्ट हेल्थ सर्वे ऑफ इंदौर रिपोर्ट के नाम से प्रकाशित हुई। इसमें गवर्मेंट, पब्लिक, रेड क्रॉस सोसायटी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और अन्य संस्थाओं का साथ रहा।
कोविड के दौरान सरकारी दरों से कम में जांच की है लैब ने
कोविड के दौरान भी सरकार से कम रेट पर जांच सेंट्रल लैब में हुई थी। सेंट्रल लैब में 7 पैथोलॉजी एक्सपर्ट है, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों से हैं। लैब में पेशेंट के लिए सेल्फ रजिस्ट्रेशन कियोस्क की सुविधा है, पेशेंट की जानकारी प्री बारकोड सिस्टम से रखी जाती है, कुछ भी मैनुअल नहीं है। सेंटर ने पूरा रोबोटिक सिस्टम है, यहां तक की बायोकेमेस्ट्री लैब से सैंपल हार्मोन मशीन तक कॉन्वियर बेल्ट की मदद से जाते हैं। चेकअप के बाद रिपोर्ट एटीएम से बारकोड स्कैन कर रिपोर्ट हासिल कर सकते हैं।