मानव सेवा की अनूठी पहल, नरकासुर से मुक्त होने का संकल्प लेगी देश की महिला बंदी

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इंदौर : नरका चतुर्दशी (रूपचौदस) के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर को मारकर 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था और समाज में पहचान के लिए उन सभी लड़कियों को अपना नाम दिया और उन्हें सजने सवरने की एक वजह दी। इस वर्ष 14 नवंबर को रूपचौदस के दिन, कृष्णा गुरुजी वेलफेयर सोसाइटी श्री कृष्ण की इस जीत को इंदौर की सेंट्रल जेल में महिला कैदियों के साथ उन्हें महिलाओं का आवश्यक सामान और अन्य सौंदर्यीकरण सामान देकर मनाएंगी।

यह कृष्ण गुरु जी और वेलफेयर सोसाइटी द्वारा उठाया गया एक और अनूठा समाज सेवा का कदम है। उपरोक्त महिला बंदी को आवश्यक सामग्री का वितरण तिहाड़ जेल दिल्ली,केंद्रीय जेल इंदौर एवं भेरो गढ़ जेल उज्जैन में भी आयोजित होगा। इस कदम के पीछे इंदौर शहर के कृष्णगुरु जी का विचार इन सभी कैदियों को भरोसा दिलाना है कि वह आज भी समाज का अभिन्न अंग है जैसा कि वह पहले थे।

यह उन्हें समाज के साथ जुड़े रहने में मदद करेगा और भविष्य में उन्हें उसके अनुसार समाज के प्रति जिम्मेदार रहने की प्रेरणा भी देगा। गुरु जी का कहना है कि कलयुग में काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार नामक राक्षस हम सबके अंदर है और इनसे लड़ने के लिए हमारी सकारात्मक सोच ही हमारे कृष्ण है।

हमारे भीतर छिपी इन बुराइयों पर जीत के रूप में चिन्हित करने के लिए सबसे उपयुक्त दिनों में से एक है, नरक चतुर्दशी। इसलिए वह हमारे अंदर छिपी आंतरिक शक्ति को अभूतपूर्व मानते हैं इन अंदर छिपे राक्षसों के खात्में के लिए, इस शक्ति का प्रयोग करने के लिए, वह लोगों को डिवाइन एस्ट्रो मेडिटेशन और हीलिंग प्रक्रिया सिखाते हैं।