साबूदाने में तेजी ज्यादा दिन की नहीं, ज्यादा स्टॉक से हो सकता है नुकसान – गोपाल साबु

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सेलम : साबूदाने में पिछले कुछ समय से भाव काफी बढे हैं, परन्तु अब यह तेजी आगे जारी रहने की संभावना कम है। व्यापारियों को सलाह है कि ज्यादा मुनाफे की उम्मीद में अधिक स्टॉक ना करें क्योंकि आने वाले महीनों में त्यौहारों के चलते बिक्री में वृद्धि होने के बावजूद, तेजी की संभावना कम है।साबूदाने के उत्पादन और मार्केटिंग से 40 से भी अधिक वर्षों से जुड़े साबु ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड, सेलम के प्रबंध निदेशक  गोपाल साबु का कहना है कि सेलम में कसावा (टेपीयोका कंद,जिससे साबूदाना बनता है) की नई पहाड़ी फसल की आवक शुरू हो गई है और अच्छी पैदावार के चलते कंद के भाव 12500 रूपये प्रति टन से घटकर 10500 रूपये प्रति टन हो गए हैं।

आगे श्रावण और अधिक मास में जोरदार बिक्री की सम्भावना है। अगस्त की शुरुआत के पहले सप्ताह से आसपास के क्षेत्रों में अच्छी क्वालिटी के साबुदाने बन सकें वैसी कंद की अच्छी आवक की संभावना है, जिसके कारण थोक भावों में तेजी नहीं दिखाई देती। सेलम थोक बाजार में सफेद साबूदाने के भाव 6500 से 6800 रुपये प्रति क्विंटल के बीच स्थिर हैं, जबकि पुराने कमजोर क्वालिटी के साबुदाने के भाव 5000 से 5700 रूपये प्रति क्विंटल के बीच हैं और बिकवाली का दबाव है। साबु ने आगामी सीज़न को देखते हुए अपने अनुभव के आधार पर व्यापारियों को सलाह दी है कि अपनी आगामी बिक्री के अनुमान से अधिक स्टॉक करना सही नहीं होगा।

साबु ट्रेड, अल्पाहार ब्रांड शुद्ध सेलम की एगमार्क हल्दी पाउडर के लिए भी जाना जाता है।  साबु के अनुसार सेलम – इरोड में हल्दी की नई फसल आ गई है जिसके कारण भाव कम हो रहे हैं और देश के अन्य भागों में हल्दी की फसल में हुए नुकसान की खबरों से तमिलनाडु के किसान अभी माल बेचने में संकोच कर रहे हैं और रुक रूक कर माल बेच रहे हैँ। साथ ही, सेलम कीहल्दी में करक्यूमिन (हल्दी का विशेष औषधीय गुण) की मात्रा सर्वाधिक होने के कारण गुणवत्ता में श्रेष्ठ होने के कारण विदेश में भी इस वर्ष हल्दी की मांग अच्छी रहने की संभावना है। आगामी दिनों में भावों में तेजी की संभावना है, अत:स्टॉक किया जा सकता है।

गत आठ वर्षों में साबु ट्रेड ने कुकरीजॉकी ब्रांड के अंतर्गत  अन्न (मिलेट्स ) जैसे कुटकी(मोरधन), कोदरा, झंगोरा, कंगनी और रागी को अत्याधुनिक मशीनों से साफ़ कर 500 ग्राम में पैक कर बाज़ार में अच्छी पहचान बना ली है। साबु ने बताया कि भारत में इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष होने के कारण मिलेट्स के गुणों का प्रचार – प्रसार होने के बाद से अनेक परिवारों ने चावल और गेहूं की जगह इन पोषक अनाजों का नियमित सेवन करना शुरू कर दिया है। इसके कारण मांग में लगातार वृद्धि हो रही है और किसानों को अच्छे भाव मिल रहे हैं । आगामी महीनों में व्रत-उपवास का सीजन होने के कारण खपत में अच्छी वृद्धि की उम्मीद है।

Source : PR