ताजिकिस्तान: अफगान दूतावास ने दीवार से निकाल फेंकी गनी की फोटो

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नई दिल्ली। अफगानिस्‍तान में तालिबान के आने के बाद हालात बेहद चिंताजनक हो गए हैं। इसके साथ ही जब से राष्‍ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ कर भागे है तब से ही वहा की आवाम उनसे नफरत करने लगी है। गौरतलब है कि, अशरफ गनी के बाद उपराष्‍ट्रपति अमरुल्‍ला सालेह ने खुद को देश का केयरटेकर प्रेसिडेंट घोषित कर दिया है। वहीं सालेह की घोषणा का असर ताजिकिस्तान में भी दिखा। दरअसल, ताजिकिस्‍तान की राजधानी दुशांबे स्थित अफगानिस्‍तान के दूतावास ने अशरफ गनी की तस्‍वीर को उखाड़ फेंका है। उनकी जगह पर अब अमरुल्‍ला सालेह की तस्‍वीर लगा दी है। इसके बगल में ही पंजशीर प्रांत के शेर कहे जाने वाले कमांडर अहमद शाह मसूद की भी तस्‍वीर लगाई गई है।

https://twitter.com/MuslimShirzad/status/1427912343426584578?s=20

आपको बता दें कि, ताजिकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान पडोसी देश है दोनों की सीमाएं भी सटी हुई है। साथ ही बता दें कि, दोनों देशों के सालेह भी ताजिक मूल के हैं। इस ऐलान के बाद तालिबान का पारा चढ़ना तय माना जा रहा है। बता दें कि सालेह ने नॉर्दन अलायंस की तरह अफगान नागरिकों से तालिबान के विरोध में खड़े होने की भी अपील की है। अमरुल्ला सालेह ने ट्वीट कर कहा कि अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, इस्तीफा या मृत्यु में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है। मैं वर्तमान में अपने देश के अंदर हूं और वैध देखभाल करने वाला राष्ट्रपति हूं। मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूं।

अमरुल्ला सालेह के बारे में बात की जाए तो आपको बता दें कि, अमरुल्ला सालेह के माँ-बाप का इन्तेकाल काफी पहले ही हो गया था। सालेह ने गुरिल्ला कमांडर मसूद के साथ 1990 के समय लड़ाई लड़ी। इसके बाद उन्होंने अफगानिस्तान सरकार में अपनी तरफ से महत्वपूर्ण सेवाएं दीं। सालेह ने बताया कि कट्टरपंथियों ने उन्हें पकड़ने के लिए उनकी बहन को प्रताड़ित किया था। बीते साल टाइम मैगजीन में लिखे लेख में उन्होंने बताया कि, ‘1996 में जो हुआ, उसके बाद तालिबान को लेकर मेरा नजरिया हमेशा के लिए बदल गया।’ 11 सितंबर 2001 को हुए हमले के बाद सालेह सीआईए के लिए अहम कड़ी बन गए थे।