सोपा का एडिबल ऑइल्स एंड प्रोटीन- विजन 2030 दो दिवसीय कॉन्क्लेव 13 अक्टूबर से

srashti
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सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) द्वारा दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सोपा कॉन्क्लेव का आयोजन 13 और 14 अक्टूबर 2024 को ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में किया जाएगा। इस बार के सोपा कॉन्क्लेव की थीम एडिबल ऑइल्स एंड प्रोटीन- विजन 2030 रखी गई है। इस मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर शिवराज सिंह चौहान भारत के कृषि मंत्री तो आमंत्रित किया गया है और उनका कॉन्फ़िर्मेशन आना बाक़ी है। अन्य विशिष्ट अतिथियों में कमिशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट्स एंड प्राइजेस (सीएसीपी) के चेयरमेन प्रोफेसर विजय पॉल शर्मा, राजमाता विजयाराजे सिंधिया एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ग्वालियर के वाइस चांसलर प्रोफेसर एके शुक्ला, भारतीय कृषि अनुषंधान परिषद के सहायक डायरेक्टर जनरल संजीव गुप्ता, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सोयाबीन रिसर्च के डायरेक्टर  के एच सिंह एवं इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ऑइल सीड्स रिसर्च (आईसीएआर) के डायरेक्टर डॉ. आरके माथुर शामिल होंगे। इस वर्ष कार्यक्रम के स्वरूप में कुछ बदलाव किया जा रहा है। जिसके चलते इस बार के सोया कॉन्क्लेव में उद्योग के प्रमुख अधिकारियों, वरिष्ठ नीति निर्माताओं, बाजार विश्लेषकों और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ अधिक इंटरैक्टिव सेशन और पैनल चर्चाएं शामिल की जा रही हैं।

सोपा के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डीएन पाठक ने बताया कि खाद्य तेलों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मानक और नियम निर्धारित किए गए हैं। भारत में खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) खाद्य तेलों की गुणवत्ता की निगरानी करता है। सभी पैक्ड खाद्य तेलों पर उनकी सही मात्रा (लीटर्स या किलोग्राम) का उल्लेख हो और उपभोक्ता को इसकी सही जानकारी मिल सके। इन दोनों विषयों पर चर्चा तथा व्यापार जगत की समस्याओं के समाधान के लिए एफ़एसआई और लीगल मेट्रोलॉजी के बढ़े अधिकारी सोया कॉन्क्लेव को संबोधित करेंगे।

डीएन पाठक ने बताया कि भारत में सोयाबीन और खाद्य तेल उद्योग इस समय काफी अनिश्चित दौर से गुजर रहा है, जिसका मुख्य कारण वैश्विक परिस्थितियां हैं। इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध का जारी रहना, मध्य-पूर्व में संघर्ष और शिपिंग पर खतरे आदि शामिल हैं। इसके अलावा सोयाबीन से जुड़ी नीतियों के मामले में देश के सोया उद्योग को उम्मीद है खाद्य तेलों पर ड्यूटी बढ़ाने के बाद अब अन्य कई महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव भी होंगे, जिससे इस सेक्टर को आगे बढ़ने और खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाने का मौका मिलेगा। सोया कॉन्क्लेव इस तरह के विषयों और नई नीतियों पर चर्चा व बहस करने के लिए सबसे उपयुक्त मंच है। यहां भविष्य के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि इस बार सोया कॉन्क्लेव में प्राइस आउटलुक सेशन और फसल अनुमान प्रस्तुति को सोपा द्वारा एक नए अवतार में दिखाई देगा। उद्योग के लिए सबसे ज्वलंत मुद्दों में से दो, जैसे – फ्यूचर्स ट्रेडिंग और पोल्ट्री फीड में डीजीएसई के प्रयोग पर विशेष सत्र होंगे। साथ ही इस कॉन्क्लेव के साथ चलने वाली प्रदर्शनी भी बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगी। जहां उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन होता है और सोयाबीन व खाद्य तेल व्यापार, उद्योग से जुड़े लोगों के साथ सीधे संवाद करने का मौका मिल सकेगा। सोपा कॉन्क्लेव सोयाबीन के क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी प्रगति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह एक ऐसा मंच है जहां देशभर के उद्योगपतियों और विशेषज्ञों द्वारा मिलकर ना केवल दीर्घकालिक योजनाएं बनाई जाती हैं। बल्कि उन्हें कैसे पूरा किया जाए, इसके लिए ठोस रणनीतियां भी तैयार की जाती हैं। इस दृष्टिकोण से यह सुनिश्चित होता है कि अब उद्योग बदलते बाजार के हिसाब से स्वयं को काफी प्रतिस्पर्धी और अनुकूल बना रहे हैं।