सोनम वांगचुक ने -40 डिग्री तामपान में अनशन करने का किया ऐलान, जानें क्या है इसकी वजह

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By Mukti GuptaPublished On: January 23, 2023

लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने एक वीडियो जारी करते हुए केंद्र सरकार से इसे लागू करने की अपील की है। उनका कहना है कि पर्यावरण की दृष्टि से लद्दाख बेहद महत्वपूर्ण है और केंद्र शासित प्रदेश घोषित होने के तीन साल बाद आज लद्दाख की हालत ‘ऑल इज नॉट वेल’ है। उन्होंने बताया कि इस वीडियो को जारी करने का मकसद था कि वो किसी भी तरह अपनी बात तथा लद्दाख के बिगड़े हालात की जानकारी पीएम मोदी तक पहुंचा सके।

इसके अलावा वांगचुक ने सरकार से कहा है कि 26 जनवरी से माइनस 40 डिग्री तापमान के बीच अनशन पर बैठने जा रहे हैं। इस वीडियो में वांगचुक ने कहा कि यहां के लोगों को विश्वास था कि सरकार उन्हें संरक्षण देगी और सरकार ने शुरू-शुरू में यह आश्वासन भी दिया। गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय या फिर जनजातीय मंत्रालय, हर जगह से खबरें आईं कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाएगा, लेकिन महीने बीत जाने के बाद भी इस बारे में कोई बातचीत नहीं हुई।

सोनम ने आगे कहा, भाजपा सरकार ने खुद वादा किया कि लोगों से एक बार नहीं, दो बार हम आपको छठी अनुसूची देंगे। आप हमें चुनाव जीतने का अवसर दीजिए। वो लद्दाख ने दिया, बल्कि मैंने खुद अपना वोट भाजपा को दिया। अब लद्दाख के नेताओं को कहा गया कि छठी अनुसूची पर आप बात न करें।

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वांगचुक ने कहा कि संविधान की छठी अनुसूची में उल्लेख है कि अगर किसी इलाके की आबादी में 50 फीसदी जनजाति हो तो उसे अनुसूची 6 में शामिल किया जाएगा, लेकिन लद्दाख में जनजाति 95 फीसदी है, फिर भी उसे अब तक अनुसूची में शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि साल 2019 में केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने उन्हें पत्र लिखकर भरोसा दिलाया था कि लद्दाख की विरासत को संरक्षित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

इसलिए उठ रही छठी अनुसूची की मांग

आपको बता दें साल 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करके केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था, लेकिन 2019 से लद्दाख का प्रशासन नौकरशाहों के हाथों में ही रहा। ऐसे में जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर लद्दाख में भी अधिवास नियमों में बदलाव की आशंका बनी हुई है। लद्दाख के लोग यहां की विशेष संस्कृति और भूमि अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए इसे छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।