भोपाल। मध्य प्रदेश की शराब नीति को लेकर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती पिछले कई महीनों से बगावती तेवर अपनाए हुए हैं। उन्होंने 7 जनवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखा था और उस पत्र में उन्होंने शराब नीति में कई बिंदुओं को शामिल करने की बात लिखी थी। उमा भारती इस मुद्दे पर कभी शराब की दुकान पर पत्थर फेकती नजर आई तो कभी शराब की दुकान पर गोबर फेकती नजर आई है।
फरवरी का आधा माह बीत गया है लेकिन प्रदेश की आबकारी नीति अंतिम स्वरूप नहीं ले पा रही है। उमा भारती के विरोध के बाद शिवराज सरकार बैकफुट पर आती दिखाई दे रही है। नई नीति की घोषणा 31 जनवरी को की जानी थी लेकिन इसमें देर हो गई। स्वाभाविक तौर पर यह देरी उमा भारती की मांगों के कारण हुई है।
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उमा भारती पिछले कुछ महीनों से शराब नीति को लेकर सरकार को घेर रही हैं। हाल ही में उन्होंने भोपाल के अयोध्या नगर इलाके के एक मंदिर में तीन दिन तक डेरा डाल रखा था। उस समय उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि वह अपने सुझावों को शामिल करते हुए नई आबकारी नीति का इंतजार कर रही हैं, जैसा कि मुख्यमंत्री ने उनसे वादा किया था।
जानकारी के मुताबिक, मध्य प्रदेश सरकार को शराब से करोड़ों की कमाई होती है। अब खबर आ रही है कि, मध्य प्रदेश की शराब नीति पर उमा भारती को संघ का साथ भी मिल गया है। प्रदेश सरकार ने शराब नीति को लेकर 5 मंत्रियों की समिति बनाई है। यह समिति वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आबकारी नीति के संबंध में अनुशंसाएँ प्रस्तुत करेगी। पांच सदस्यीय समिति में गृह, जेल, विधि-विधायी कार्य, संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, वाणिज्यिक कर, वित्त, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी मंत्री श्री जगदीश देवड़ा, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी शामिल हैं। प्रमुख सचिव, वाणिज्यिक कर समिति के सचिव होंगे।