दिल्ली की जामा मस्जिद के नए शाही इमाम की दस्तारबंदी की गई. पूर्व इमाम सैयद अहमद बुखारी ने अपने बेटे शाबान बुखारी को पगड़ी पहनाकर 14वें शाही इमाम बनने का ऐलान किया. उन्होंने जामा मस्जिद के नए इमाम के रूप में अपने पिता की जगह ली,इससे पहले वो नायब इमाम थे. इस दौरान उन्होंने जामा मस्जिद के इतिहास के बारे में बताया कि पहले शाही इमाम को सम्राट शाहजहां ने नियुक्त किया था.
बता दें दिल्ली से हजारों मील दूर मुगल बादशाह शाहजहां के निमंत्रण पर उज्बेकिस्तान के बुखारा शहर से एक इस्लामिक धर्मगुरु सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी आए और जामा मस्जिद के इमाम की बागडोर संभाली. उन्होंने 25 जुलाई, 1656 को यहां ईद की नमाज का नेतृत्व किया. और 25 फरवरी को उनके वंशज और नोएडा की एमेटी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट रहे सैयद शाबान बुखारी की दस्तारबंदी ;पगड़ी पहनाने की रस्मद्ध के संपन्न होने के साथ ही वे जामा मस्जिद के नायब इमाम बन गए.
क्या शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी को एक धार्मिक प्रमुख, राजनीतिक शख्सियत या व्यवसायी कहा जा सकता हैं इमाम की आमदनी प्रॉपर्टी बिजनेस, मिडिल ईस्ट देशों में चावल, मसालों और पेट्रोकेमिकल के एक्सपोर्ट से आती है. इमाम सैयद अहमद बुखारी कहते हैं, श्इसमें गलत क्या है हां. हम चावल और मसालों का निर्यात कर रहे हैं, लेकिन मैं आपको बता दूं, मैं आयकर दाता हूं. इमाम के लिए दिक्कत ये है.
इस दौरान पूर्व इमाम अहमद बुखारी ने कहा, जामा मस्जिद के पहले इमाम (हजरत सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी, शाही इमाम) को 63 साल की उम्र में शाही इमाम नियुक्त किया गया था. परंपराओं के मुताबिक, इमामों ने अपने जीवनकाल में ही अपने उत्तराधिकारियों की घोषणा कर दी है. इसलिए 400 से अधिक सालों की परंपरा के मुताबिक, इस जामा मस्जिद से मैं घोषणा करता हूं कि सैयद शाबान बुखारी मेरे उत्तराधिकारी हैं.
गौरतलब है कि जामा मस्जिद के 13वें इमाम सैयद अहमद बुखारी 12वें शाही इमाम सैयद अब्दुल्ला बुखारी के बेटे हैं, जिनकी साल 2009 में 87 वर्ष की उम्र में मौत हो गई थी. वह अक्टूबर 2000 में अपने पिता के बाद जामा मस्जिद के शाही इमाम बने थे.