नितिनमोहन शर्मा
दुर्वासा ऋषि जैसे कुपित होकर सत्ता वाली भाजपा को श्राप देने वाले गुरुवर पँ सत्यनारायण सत्तन का क्रोध शनिवार को सीएम से मुलाकात के बाद शांत हो गया। दोनो नेताओ के बीच एकांत में करीब एक घण्टा मुलाकात हुई। इस दौरान मौके पर मौजूद पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता को भी बाहर कर दिया गया। सत्तन ने वे सारे मूददे सिलसिलेवार सीएम शिवराज सिंह चौहान के समक्ष दमदारी से उठाए, जिसे लेकर वे बीते 4 दिन से मुखर थे। सीएम ने धैर्य से सब सुना और सत्तन गुरु के पैर छुते हुए कहा कि गुरुदेव आपकी हर बात स्वीकार है, आप शांत हो जाईये। गुरुजी न केवल चुनाव आपको सम्भालना है बल्कि सबको समझना भी हैं। उदारमना विप्रवर सत्तन ने अपने समक्ष नतमस्तक सरकार के मुखिया को भी आश्वस्त किया कि आप जमीनी कार्यकर्ता को संभाले। उनकी सुध ले। शेष सब हम पर छोड़ दे। मुलाकात के बाद सत्तन ने कहा भी कि सीएम ने अपनी गलती स्वीकार की है और में उनसे मिलकर पूरी तरह संतुष्ट हूं। सत्तन को मना लेने के बाद सीएम ने भी राहत महसूस की और उनसे आग्रह भी किया कि मिशन 2023 में आप जैसे नींव के पत्थरों को अहम भूमिका निभानी है।
सत्तन ओर सीएम की बहुप्रतीक्षित मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में जबरदस्त हलचल थी। जिस तरह से शेखावत के बाद सत्तन मुखर हुए थे, उसने सरकार और संगठन दोनो को मुसीबत में डाल दिया था। दोनो नेताओ का सरकार पर हमला दिल्ली तक गुंजा और उसकी आहट कर्नाटक के चलते चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंच गई थी। इसके बाद सरकार दबाव में थी और सरकार के मुखिया भी अनमने से हो चले थे। सीएम ने तुरंत पहल करते हुए सत्तन को मिलने भोपाल बुला लिया था लेकिन सत्तन की पारिवारिक व्यस्तता के कारण मुलाकात बुधवार की बजाय शनिवार को हुई।
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सत्तन दोपहर ढाई बजे इंदौर से रवाना हुए। उन्हें लिवा ले जाने के लिए पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता बेहद लालायित थे। लेकिन सत्तन अपनी निजी टीम के सिपहसालार सत्यनारायण शर्मा सत्तू पहलवान के साथ राजधानी पहुंचे। पीछे पीछे पूर्व विधायक गुप्ता भी थे। पूर्व पार्षद मनोज मिश्रा पहले से ही भोपाल पहुंच गए थे। शाम 6 30 बजे सत्तन का काफिला सीएम हाउस पहुंच गया। सीएम इंतजार ही कर रहे थे। वहां मनोज मिश्रा पहले से मौजूद थे। सत्तन के पहुंचते ही सीएम ने उन्हें बुलवा लिया। शेष लोग बाहर रुक गए लेकिन सुदर्शन गुप्ता साथ हो लिए। थोड़ी देर में ही गुप्ता को वापस लौटा दिया गया। उसके बाद बन्द कमरे में सत्तन और सीएम की बात शुरू हुई जो देर तक चली।
सीएम को सत्तन गुरु ने सुनाई खरी खरी
सूत्रों की माने तो सत्तन गुरु ने सीएम के समक्ष वे सब मूददे बेबाकी से रखे जिस पर वे मुखर थे। सत्तन ने सीएम को साफ कहा कि मुझे आपने और पार्टी ने बहुत कुछ दिया है। ये लड़ाई मेरी नही न मुझे उम्र के इस पड़ाव पर कोई महत्वाकांक्षा हैं। बस फिक्र है पार्टी की और उसकी रीति नीति की। सत्तन ने पुराने नेताओ, कार्यकर्ताओ को हाशिये पर रखने के चलन पर सीएम को खरी खरी सुनाई। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म मे बुजुर्गों का सम्मान अहम रहता है और हमारी पार्टी के सिद्धांत भी पुरानी पीढ़ी को साथ लेकर चलने के है। ऐसे में नए नेता और बाहर से आये नेताओं ने ऐसा माहौल बना दिया है कि जैसे हम अब किसी काम के नही। ये स्थिति चुनावी साल में पार्टी के लिए मुफीद नही। इसलिए समय रहते इस पर फ़ोकस करना होगा।
20-30 साल से सत्ता सुख भोग रहे नेताओ को संगठन का काम दो
सत्तन ने सीएम को 20-30 साल से सत्ता का लाभ ले रहे नेताओ को संगठन का काम सौपने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि जो दो तीन दशक से अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे है, वे कब तक ठगाएँगे? क्या कुछ नेता ही हमेशा उपकृत होंगे? उम्र के पैमाने पर भी सत्तन ने बात रखी कि इस पर विचार होना चाहिए। सिंधिया समर्थकों के मामले में सत्तन ने वे सब दोहराया जो शेखावत भी बोल चुके थे। सीएम ने सत्तन को आश्वस्त किया कि इस बात का अब गम्भीरता से ध्यान रखा जाएगा कि पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता का सम्मान आहत न हो। सीएम ने इसकी जवाबदेही भी सत्तन को दी कि गुरुजी आपको इस मोर्चे को घर के बुजुर्ग की भांति सम्भालना होगा क्योकि हमारे लिए मिशन 2023 बहुत अहम हैं।
मुलाकात के बाद में सीएम ने सत्तनजी के साथ गई उनकी निजी टीम को भी अंदर बुलाया। सत्तन ने कहा भी कि ये कोई नेता नही है। न इनको किसी पद की अभिलाषा है। ये सब मेरे शिष्य है। सीएम ने सबके साथ चाय पी और फोटो भी करवाये। सोनकच्छ के मशहूर पप्पू एंड पप्पू रिसोर्ट पर भोजन कर रात 2:30 पर सत्तन इंदौर लौट आये।